For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" फासला " (लघुकथा)
                "कादिर मियाँ आप होश में तो है शेख सादी को रिहा करवाना चाहते है, वतन की अमन परस्ती का भी ख्याल करो।" वसीम साहब कुछ तेज आवाज में हैरानी से बोले। जबाब में कादिर मियाँ का लहजा भी उखड़ गया। "वसीम साहब। 'शेख' के रिहा होने से हमारा कारोबारी फायदा होगा, उसकी नजरबंदी से हम पहले ही बहुत नुक्सान उठा चुके है। रही बात हालात की तो उस पर नजर रखना आपकी हुकूमत का काम है।"
                 "ठीक है कादिर मियाँ मगर दहशतगर्दी का क्या जो फिर से..........।" वसीम साहब की बात कादिर मियाँ ने बीच में ही काट दी। "इस छोटी मोटी दहशतगर्दी को छोड़िये, बाहर से होने वाली दहशतगर्दी से बचाइये अपने वतन को।" वसीम साहब पर गहरी नजर डालते हुये कादिर ने अपनी बात पूरी की। "और इसके लिये जरूरी है आपकी सीट का कायम रहना और यकीं रखिये हम आप के साथ है, गर आप चाहेगें तो।"

                 वसीम साहब घर में पैदा हो रहे इस दहशतगर्द का और बाहरी दहशतगर्द का फासला ही तय करते रह गये और कादिर मियाँ खुदा हाफिज करके जा चुके थे।


(मौलिक एवम अप्रकाशित)
'विरेन्दर वीर मेहता'

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2015 at 10:04pm

वसीम साहब जैसे लोगों की संवेदना आश्वस्ति का कारण है. वर्ना कादिर साहब जैेसे शातिरों की मनमानी देश खूब देख भोग रहा है. एक मौजूं विषय पर एक जिम्मेदार कोशिश के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें, वीरेन्द्र भाई.

शुभेच्छाएँ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 12, 2015 at 6:44pm

सच! कितनी आसानी से और आसान बातों में नफा-नुक्सान तय हो जाते है. बहुत बढ़िया रचना, आदरणीय वीर मेहता जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 12, 2015 at 6:04pm

कीमती समय और कीमती प्रतिक्रिया देने के लिए आप को दिल से शुक्रिया आदरणीय गिरिराज भंडारी जी....बस मन में आये शब्दों को कागज़ पर उतार दिया.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 12, 2015 at 7:57am

हालिया वक़्त कर बहुत जानदार कथा कही है , आदरनीय विरेन्द्रर भाई , आपकओ दिली बधाइयाँ ।

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 11, 2015 at 5:30pm

आदरणीय विनय कुमार जी तहे दिल से धन्यवाद .......देश के मोजुदा  दौर में ये सच है की अपने राजीनीतिक फायदे के लिए मुल्क की भी भेंट चढ़ा सकते हैं ये लोग........

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 11, 2015 at 5:26pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी कथा पर अमूल्य 'कमेंट' देकर हौसला अफजाई के लिए आप का बहूत बहूत शुक्रिया....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 11, 2015 at 5:24pm

आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी कथा आपको अच्छी लगी.... और आपके  इस पर अमूल्य समय और प्रितिक्रिया देने के लिए दिल से आभार...

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 11, 2015 at 5:20pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी कथा पर आप की अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए सादर शुक्रिया ........

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 11, 2015 at 5:17pm

आदरणीय श्याम मठपाल जी /  श्री मह्रिषी त्रिपाठी जी और  ..../\....  गोपाल नारयण श्रीवास्तव जी कथा पर आप लोगो की उपस्तिथि और अमूल्य शबदो के लिए तहे दिल से आभार..

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 11, 2015 at 11:58am

प्रिय वीरेन्द्र

सुन्दर और सामयिक  i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
8 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा

.गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा नशा उतार ख़ुदाया नशा उतार मेरा. . बना हुआ हूँ मैं जैसा मैं…See More
33 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi posted a blog post

ग़ज़ल

2122 1122 1122 22आप भी सोचिये और हम भी कि होगा कैसे,,हर किसी के लिए माहौल ये उम्दा कैसे।। क्या…See More
34 minutes ago
Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ जी, क्षमा करें, समस्या के मूल में जाने के बजाय जिम्मेदार लोग  ' बलि का बकरा ढूँढ़…"
39 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आ. अशोक जी,बहुत सुन्दर छन्द हुआ है ...बधाई स्वीकार करें.एक शंका है...होतीं बेटियाँ की जगह क्या होती…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। उत्तम छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय शिज्जू भाई, घनाक्षरी या सवैया जिन्हें उनकी कुल मात्रिकता के कारण वृत्त या दण्डक की श्रेणी का…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, जी बेहतर की संभावना तो हर जगह होती है, मगर मेरे कहने का आशय यह नहीं था।…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सादर अभिवादन आदरणीय। मेरा मानना है कि अमित जी को इस संदर्भ में स्वयं अपना पक्ष रखना चाहिए और अपनी…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"वहशी दरिन्दे क्या जानें, क्या होता सिन्दूर .. प्रस्तुत पद के विषम चरण का आपने क्या कर दिया है,…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service