For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : प्रीत (गणेश जी बागी)

कुष्ट रोग से ग्रसित बिधवा बुढ़िया अकेली ही रहती थी. इकलौता बेटा शादी कर पता नहीं कहाँ जा बसा था. किसी ने बताया कि रोग से मुक्ति चाहिए हो तो जुम्मे के रोज मजार वाले बाबा के पास जाओ. बुढ़िया अगले ही जुम्मे को मजार पर पहुँच गयी । वहाँ झाड़-फूंक चल रही थी. बाबा के एक शागिर्द ने चढ़ावा लिया और घर-परिवार, रिश्तेदारों आदि के बारे में पूछताछ कर एक तरफ बिठा दिया जहाँ पहले से उस जैसे अन्य मरीज इन्तजार कर रहे थे. खैर कुछ देर इन्तजार के पश्चात उसकी बारी आयी ।
बाबा की गंभीर आवाज गूंज उठी, “माई तेरे ऊपर प्रेत का साया है वह भी तीन-तीन, एक तेरा भाई दूसरा तेरा पति और तीसरा एक बाहरी जिन्न है, ये सभी मिलकर तुमको सता रहें हैं”
“बाबा कुछ भी कीजिये किन्तु मेरी बीमारी ठीक कर दीजिये”
“इन तीनों प्रेतों को जला कर राख करना होगा, माई तू इसके लिए गुहार लगा”
बुढ़िया शांत हो गयी, उसके मुख से कोई शब्द नहीं निकल रहा था ।
बाबा की कड़क आवाज पुनः गूंजी, “माई जल्दी गुहार लगा”
बुढ़िया धीमे से बोली, “बाबा मेरे पति को छोड़, बाकी सबको जलाकर राख कर दो”

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => अतुकांत कविता : हिंसा 

Views: 1100

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on July 28, 2015 at 10:34am
वाह !!!! बहुत ही सुंदर लघुकथा पढने को मिली आज । बधाई आपको आदरणीय गणेश जी बागी जी । ओबीओ के पुराने पन्नों में छिपे हुए मोतियों का अनमोल संकलन देख मन अति आनंदित हुआ ।
Comment by Shubhranshu Pandey on February 22, 2015 at 12:48pm

गणॆश भैया अतना जाड़ रहे कि हाइबरनेशन में लुकाइल रहनी हां....


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 18, 2015 at 9:59pm

प्रिय शुभ्रांशु भाई, आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई, बहुत ही अच्छा लगा, बहुत बहुत आभार.

एने कहाँ व्यस्त बाड़s भाई, बहुत दिन बाद आगमन होत बा :-)


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 18, 2015 at 9:51pm

आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी और आदरणीय डॉ आशुतोष जी, लघुकथा पर आप दोनों से सराहना प्राप्त हुई, मन मुग्ध है, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 15, 2015 at 5:15pm

लघुकथा पर प्राप्त आपकी खुबसूरत प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 15, 2015 at 5:13pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी तथा आदरणीया छाया शुक्ला जी आप दोनों ने इस लघुकथा को जो सम्मान दिया इसके लिए मैं नतमस्तक हूँ, बहुत बहुत आभार आप दोनों को.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 15, 2015 at 5:11pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी तथा आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लडिवाला जी, आपका आशीर्वाद स्वरुप प्रतिक्रिया इस लघुकथा को प्राप्त हुई, इससे लघुकथा और लघुकथाकार दोनों गौरवान्वित हुए, बहुत बहुत आभार.

Comment by Shubhranshu Pandey on February 15, 2015 at 11:33am

आदरणीय गणेश भैया. 

सुन्दर कथा. भले ही प्रेत के रुप में लेकिन साथ तो है ना......बहुत सुन्दर कथा. 

सादर.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2015 at 5:07pm

आदरणीय बागी सर ..इस सुंदर लघु कथा पर आपको ढेर सारी बधाई ..

Comment by Hari Prakash Dubey on February 14, 2015 at 9:17am

आदरणीय  इं. गणेश जी "बागी "जी सुन्दर लघुकथा , एक ही लघुकथा कई चीजों पर प्रहार कर रही है ..शानदार ! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भूल सुधार - "टाट बिछाती तुलसी चौरा में दादी जी ""
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ.गिरिराज भंडारी जी, नमस्कार! आपने फ्लेशबैक टेक्नीक के  माध्यम से अपने बचपन में उतर कर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service