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मेरी पलकों को......

मेरी पलकों को......एक रचना 

मेरी पलकों को अपने ख़्वाबों की  वजह दे दो
अपनी साँसों में  मेरे जज़्बातों को जगह दे दो

जिसकी  नमी  तुम ये  दामन सजाये बैठी हो
उसके  रूठे  सवालों को जवाबों में जगह दे दो

बंद हुआ  चाहती हैं  अब थकी हुई पलकें मेरी

अपनी तन्हाई में रूहानी रातों  को जगह दे दो 


ये ज़िंदगी तो गुज़र जाएगी तेरे हिज्र के सहारे 

इन हाथों में कुछ रूठे हुए वादों को जगह दे दो

कल का वादा न करो  कि अब न कल आएगा
अपने रुख़्सार पे पिघले लम्हों को जगह दे दो

सुशील सरना

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Comment by Sushil Sarna on February 15, 2015 at 6:44pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by umesh katara on February 15, 2015 at 4:07pm

वाह

Comment by Hari Prakash Dubey on February 14, 2015 at 9:13am

 आदरणीय सुशील सरना जी  //जिसकी  नमी  तुम ये  दामन सजाये बैठी हो 
उसके  रूठे  सवालों को जवाबों में जगह दे दो// ....वाह , सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 13, 2015 at 9:37pm

बहुत सुन्दर रचना आ० सुशील सरना जी हार्दिक बधाई 

Comment by Sushil Sarna on February 13, 2015 at 3:10pm

आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव  जी प्रस्तुति  पर आपकी स्नेहिल  सराहना  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 13, 2015 at 3:09pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा  जी रचना  पर आपकी मधुर सराहना  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 13, 2015 at 3:07pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर  जी प्रस्तुति पर आपकी मधुर सराहना  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 13, 2015 at 3:06pm

आदरणीय  maharshi tripathi  जी प्रस्तुति पर आपकी मधुर प्रशंसा  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 13, 2015 at 3:05pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति पर आपकी सराहना का हार्दिक आभार। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 13, 2015 at 2:41pm

आ----हा---- आ० सरना जी  i बेहतरीन दिल में पैठ बनाती गजल i आपको बधाई i

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