For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो जैसे नचा रहा है, मैं वैसे नाच रहा हूँ

समय

साक्षी है

अतीत का

वर्तमान का

मैं सिर्फ इसके

साक्ष्य को

दोहरा रहा हूँ

इसके लिखे गीतों को

गुनगुना रहा हूँ !

 

समय

ने बाँध दिया

जीवन और

मृत्यु की

डोर से मुझको

और मैं

पतंग की तरह

हवाओं में,

लहरा रहा हूँ !

 

धागा

ये प्रेम का

बड़ा नाजुक है

टूट ना जाये कहीं

ये सोच के 

घबरा रहा हूँ 

वो जैसे नचा रहा है

मैं वैसे नाच रहा हूँ !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित

Views: 811

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on February 3, 2015 at 9:09pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, रचना पर आपकी उपस्तिथि एवम् उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 3, 2015 at 3:09pm

आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी, इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई ...

समय \साक्षी है\ अतीत का \वर्तमान का

मैं सिर्फ इसके\ साक्ष्य को \दोहरा रहा हूँ

इसके लिखे गीतों को\गुनगुना रहा हूँ !............. बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ 

 

समय \ने बाँध दिया \जीवन और \

मृत्यु की \डोर से मुझको\ और मैं

पतंग की तरह \हवाओं में, \लहरा रहा हूँ !...........वाह वाह 

इसके बाद की पंक्तियों में कहीं कुछ कमी सी लग रही है जैसे 

 

धागा\ ये प्रेम का \बड़ा नाजुक है

टूट ना जाये कहीं \ ....................और इसके बाद की पंक्तियों .........वो जैसे नचा रहा है\मैं वैसे नाच रहा हूँ !!........... इन पंक्तियों के बीच एक गेप का अहसास हो रहा है. लग रहा है जैसे कहन में कुछ छूट रहा है इसलिए इसे मैं कुछ ऐसे पढ़ रहा हूँ-

धागा\ ये प्रेम का \बड़ा नाजुक है

टूट ना जाये कहीं \ ये सोच के घबरा रहा हूँ 

वो जैसे नचा रहा है\मैं वैसे नाच रहा हूँ !!

Comment by Anurag Goel on February 3, 2015 at 2:18pm

कम शब्दों में बड़ी बात, बहुत खूब


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 3, 2015 at 11:10am

आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी बहुत ही खुबसूरत रचना प्रस्तुत हुई है, इस बार जो "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52 होने वाला है उसका विषय भी यही है, बधाई महोदय.

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 3, 2015 at 9:56am
समय को , उसके ही रूप में , कुछ नये शब्दों में प्रस्तुत करती एक सुन्दर रचना. बधाई , आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service