For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- नफ़रत नहीं तो उस से मुझे प्यार भी नहीं। ( इस्लाह हेतु )

221-2121-1221-212

नफ़रत नहीं तो उस से मुझे प्यार भी नहीं.
मेरे लिए वो शख़्श मगर अजनबी नहीं।

दुनिया में बुतपरस्त फ़क़त मैं नहीं ख़ुदा.
तेरे जहाँ में आशिक़ों की कुछ कमी नहीं।

कुछ तो मेरा नसीब ही सहरा की धूप है.
उस पर तुम्हारे प्यार की बौछार भी नहीं।

सहरानवर्द दिल है मिरा आप के बग़ैर.
जब से गए हैं आप मेरी ज़िन्दगी नहीं।

प्यालों को तोड़ कर दिल ए बेज़ार कह उठा.
जामे अजल नहीं तो कोई मयकशी नहीं।

इतना न ग़ौर से मुझे सुनते सभी यहाँ.
करता मैं आज दिल से अगर शायरी नहीं।

रोते हुओं को तुमने हँसाया है कब 'दिनेश'
इस वजह् भी नसीब में तेरे खुशी नहीं।

-- दिनेश कुमार ०९/०१/२०१५

( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 831

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on January 13, 2015 at 6:34pm
आ.तिलक राज सर जी,आपने ग़ज़ल पढ़ी और सराहना के दो शब्द कहे, बहुत बहुत दिली शुक्रिया। आशीष बनाए रखिएगा।
Comment by दिनेश कुमार on January 13, 2015 at 6:30pm
आ.गिरिराज सर जी,हौसला अफजाई का बहुत शुक्रिया। अब मुझे भी मिसरा द्विअर्थी लगने लगा है।बदलने की कोशिश करूँगा सर जी। आशीष बनाए रखिएगा।
Comment by Tilak Raj Kapoor on January 13, 2015 at 5:33pm

बहुत खूब।

मफ़ऊलु फ़ायलात मफ़ाईलु फ़ायलुन् 

मैं जि़न्‍दगी का साथ निभाता चला गया
हर फि़क्र को धुँए में उड़ाता चला गया। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 13, 2015 at 7:34am

आदरणीय दिनेश भाई , खूब सूरत गज़ल हुई है , निम्न अशआर के लिये और ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाई ।

सहरानवर्द दिल है मिरा आप के बग़ैर.
जब से गए हैं आप मेरी ज़िन्दगी नहीं।

प्यालों को तोड़ कर दिल ए बेज़ार कह उठा.
जामे अजल नहीं तो कोई मयकशी नहीं  -- बहुत खूब आदरणीय ।

एक बात -- क्या ख़ुदा के साथ मिसरे मे बुतपरस्त आना  मूर्तिपूजक की ओर इशारा नहीं करता ? अगर ऐसा है तो अर्थ कुछ और भी निकलेगा , एक बार सोच लीजियेगा ।

Comment by दिनेश कुमार on January 13, 2015 at 6:32am
शुक्रिया आ.सौरभ सर जी। स्नेह बनाए रखिएगा।
Comment by दिनेश कुमार on January 13, 2015 at 6:30am
शुक्रिया मदनमोहन जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 12, 2015 at 11:02pm

आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति पर बधाइयाँ , भाई दिनशजी.

Comment by Madan Mohan saxena on January 12, 2015 at 3:20pm

बेहद उम्दा

Comment by दिनेश कुमार on January 11, 2015 at 8:11pm
हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया भाई खुर्शीद जी।
Comment by दिनेश कुमार on January 11, 2015 at 8:09pm
शुक्रिया आदरणीय मोहन जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
12 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service