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लघुकथा : फेस वैल्यू (गणेश जी बागी)

"चंद्रा साहब कवि सम्मलेन कैसा रहा ? इस कार्यक्रम का टोटल मैनेजमेंट मेरे द्वारा ही किया गया था."

"गुप्ता जी मैं कोई साहित्यकार तो हूँ नहीं किन्तु खचाखच भरा सभागार, श्रोताओं के कहकहे और तालियों से लगा कि कार्यक्रम सफल रहा. किन्तु मुझे एक बात समझ में नहीं आयी कि वो दो लड़कियां... अरे क्या नाम था ... हां कविता ‘क्रंदन’ और शबनम ‘सिंगल’, इन्हें क्यों मंच पर बैठाया गया था, वो दोनों क्या पढ़ रहीं थीं ... यार मेरे पल्ले तो कुछ भी नहीं पड़ा."

"हा हा हा, लेकिन सीटियाँ और तालियाँ तो बजी न ! और दोनों.....माशाअल्लाह.... खुबसूरत भी हैं."

"किन्तु गुप्ता जी, क्या खूबसूरती ही सब कुछ है, भई टैलेंट भी कोई चीज होती है."

"आप नहीं समझेंगे चंद्रा साहब, फेस वैल्यू भी कोई......."

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : न्यू ट्रेंड 

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Comment by Dr. Vijai Shanker on January 8, 2015 at 8:21pm
मंच - मैनेजमेंट है , करना पड़ता है। साज- सज्जा भी, रिसेप्शन भी।
सच का बयान ही सटीक व्यंग। बधाई , आदरणीय इंजी o गणेश जी, बागी जी। सादर।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 8, 2015 at 8:21pm

आदरणीय डॉ कंवर करतार जी, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति उत्साहवर्धक है, सराहना हेतु हृदय से आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 8, 2015 at 8:17pm

आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत बहुत आभार, आपकी बधाई सर आँखों पर.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 8, 2015 at 8:16pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी, आपकी प्रतिक्रिया सदैव प्रोत्साहित करती है, बहुत बहुत आभार.

Comment by कंवर करतार on January 8, 2015 at 8:15pm

बागी जी ,आधुनिक परिप्रेक्ष्य में बाजारू संस्कृति की पोषक फेस बेल्यू ही है और उसी को सार्थक करती आपकी उम्दा लघु कथा,शत शत बधाई I


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 8, 2015 at 8:14pm

आदरणीया अर्चना तिवारी जी, सराहना और प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 8, 2015 at 7:58pm

शीर्षक को पूर्णतः सार्थक करती सफल लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi सर 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 8, 2015 at 7:31pm

"आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi सर बहुत ही सुन्दर  लघुकथा, वाकई  फेस वैल्यू  का ज़माना है  .... हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 8, 2015 at 5:35pm

प्रिय सोमेश जी, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार.

Comment by somesh kumar on January 8, 2015 at 5:10pm

सुंदर व्यंग्य सर !कविता -मंच भी मनोरंजन की दुकाने हो रहे हैं और विज्ञापन में सब कुछ जायज़ है ,लघुकथा पर बधाई 

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