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लघुकथा : न्यू ट्रेंड (गणेश जी बागी)

“वर्मा साहब, एक बात समझ में नहीं आयी, आपने फ़िल्म प्रोडक्शन पर अधिक और फ़िल्म प्रमोशन एवं मिडिया मैनेजमेंट पर मामूली बजट का प्रावधान किया है, जबकि आजकल तो प्रमोशन पर प्रोडक्शन से कहीं अधिक बजट खर्च किये जा रहे हैं.”
“डोंट वरी दादा ! कम प्रमोशनल बजट में भी फ़िल्म हिट करवाई जा सकती है.”
“अच्छा अच्छा, मतलब आप फ़िल्म में आइटम डांस वगैरह डालने वाले है.”
“नो नो, इटिज वेरी ओल्ड ट्रेंड”
“तो अवश्य कोई किसिंग या बोल्ड बेड सीन दिखाने को सोच रहे हैं.”
“अरे नहीं दादा इसमें नया क्या है ये सब तो अब टीवी सिरिअल वाले भी दिखा रहे हैं”
“फिर क्या सोचा है आपने ?”
“अरे कुछ नहीं, धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले कुछ सीन घुसेड देंगे, धर्मगुरु और मिडिया वाले स्वतः फ़िल्म प्रमोट कर देंगे और वो भी मुफ्त में.”
“और सेंसर बोर्ड ?”
“दादा वो सब आप मुझपर छोडिये, फ़िल्म इंडस्ट्री में मैं कोई नया हूँ क्या ? सब मैनेज हो जाता है.”

(मौलिक व अप्रकाशित)
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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 29, 2014 at 5:14pm

आदरणीय डॉ विजय प्रकाश जी, लघुकथा पर आपका आशीर्वाद प्राप्त हुआ, लेखन कर्म सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 29, 2014 at 5:11pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ भईया .

Comment by khursheed khairadi on December 29, 2014 at 3:46pm

आदरणीय बागी साहब अच्छा व्यंग्य है ,ताज़ा घटनाक्रम पर त्वरित तंज़ ,लाज़वाब |सादर अभिनन्दन |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 29, 2014 at 3:34pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 29, 2014 at 12:21pm

एक-एक शब्द ऐसा तौल कर लिखा है आपने, पूर्ण सजीव सा चित्रण लगा. आजकल यही सब कुछ हो रहा है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीय गणेश जी

Comment by Shyam Narain Verma on December 29, 2014 at 10:01am

अच्छी कहानी के लिए हार्दिक बधाई |

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 29, 2014 at 7:11am
आदरणीय बिल्कुल सही कहा! बहुत सुन्दर व सार्थक रचना

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 29, 2014 at 6:58am

पर्दे के  पीछे की कड़वी सच्चाई यही है !  आदरणीय बागी जी सामयिक विषय पर आपकी सुन्दर लघुकथा के लिये बधाइयाँ प्रेषित है।

Comment by vandana on December 29, 2014 at 5:22am

बहुत सही ... बेहतरीन लघुकथा आदरणीय 

Comment by somesh kumar on December 28, 2014 at 11:41pm

लघुकथा का विषय और उसकी गहनता दोनों प्रभावित करती हैं और एक नए पैतरे की और ध्यान ले जाती हैं |रचना सार्थक है और रचनाकार सफल |

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