For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत कविता : केसर के फूल (गणेश जी बागी)

अतुकांत कविता : केसर के फूल

चौक गया

यह देखकर 

स्कूल के फर्श पर

फैला गाढ़ा रंग
बिलकुल वैसा ही था
जैसा
कुछ वर्ष पहले था
मुंबई के प्लेटफॉर्म पर  
कोई अंतर नहीं
एकदम सुर्ख़ लाल रंग
उपजाऊ भूमि
बो दिया बारूद
इस उम्मीद में

कि .........
केसर फूलेंगे ।

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : सुकून

Views: 1300

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 1, 2015 at 5:09pm

इस कविता पर आपकी उपस्थिति और सराहना उत्साह्वार्धित करती है, बहुत बहुत आभार आदरणीय भुवन निस्तेज जी. 

Comment by भुवन निस्तेज on December 22, 2014 at 2:12pm
मानव संवेदना को झझोंड देने वाली कविता..... बधाई स्वीकार करें...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2014 at 7:34pm

आदरणीय गिरिराज भाई साहब, आपकी सराहना उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2014 at 7:33pm

आदरणीय सौरभ भईया, आपका आशीर्वाद प्राप्त होने के बाद रचना सार्थक हो जाया करती है, मुक्तकंठ से आपकी सराहना निश्चित ही उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2014 at 7:31pm

आदरणीया अर्चना तिवारी जी, कविता मूल रूप में आप तक पहुँच सकी इसकी ख़ुशी है, उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 21, 2014 at 11:57am

आदरणीय बाग़ी जी , केसर की चाह मे बारूद ! बौत कम शब्दों में बहुत सटीक बात कही आपने ! रचना के लिये हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 21, 2014 at 11:33am

भाई गणेशजी, आपकी यह रचना सीधी-सादी भाषा में सटीक बातें करती हुई है. कई बार ऐसी बातों का होना आवश्यक लगता है.
’केसर फूलेंगे’ जैसी उम्मीद कभी राक्षसी नहीं हो सकती. लेकिन इस उम्मीद की ओट में यदि घृणित को साधने की सोच हो, तो ऐसी उम्मीद लगाने वालों की प्रवृति में खोट साफ दिखने लगता है. कवि संवेदनशील ही नहीं होता बल्कि समाज को यथार्थ की कसौटियों के प्रति इंगित भी करता है. ऐसे में, आपका प्रयास वस्तुतः श्लाघनीय है.
इस रचना केलिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2014 at 12:12am

कविता आपको अच्छी लगी इसके लिए आभार प्रिय सोमेश जी .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2014 at 12:11am

सराहना हेतु आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2014 at 12:10am

आदरणीय गोपाल नारायण जी, कविता आपको अच्छी लगी, लेखन कर्म सार्थक हुआ, आभार व्यक्त करता हूँ .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
7 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service