For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पूरब  से जैसे  चले, शीतल  मंद  बयार ।

मैं रोया तुम रो पड़ी, समझो जीवन पार ।१।

 

जीवनसाथी तू सखी, इक मंदिर का छंद ।

तेरे सहचर  में  मिला, पूजा  का आनंद ।२।

 

तेरी  फूलों-सी हंसी, कलियों सी मुस्कान ।

जीवन को जैसे मिला, खुशियों का सामान।३।

 

ईश्वर  ने कैसा रचा, तेरा  मेरा साथ ।

मेरी ताकत बन गए, मेंह्दी वाले हाथ ।४।

 

रिश्ता अपना खूब है, तू शाखा मैं पात ।

बिन बोले क्या खूब तू, समझे मेरी बात।५।

 

दरपन देख संवार लो, माथे का सिन्दूर ।

सूरज जैसे क्षितिज में, फिसला है कुछ दूर ।६।

 

अपनी यादों की सखी, मत छेड़ो वो बात।

हँसते-रोते फिर कही, बीत न जाए रात ।७।

 

जीवन में चाहे  मचे, अपने भागमभाग।

साथ रहे तो गीत हो, बात करें तो फाग।८।

 

ठंडी ठंडी रेत पर, चलती हो तुम साथ।

बातें करती चांदनी,  बीते  सारी  रात।९।

 

परबत से इक पेड़ तक,  ऐसे उतरी शाम।

चुपके से वो लिख गई,  जैसे तेरा नाम ।१०।

 

तुमने हँसकर कह दिया, जग माटी का खेल।

मन दीपक जलता रहा, बिन बाती बिन तेल।११।

 

निकलो जब परदेश को, धुप दिए के साथ।

सिर्फ  रहेंगे  पास में,  चूड़ी  वाले  हाथ ।१२।

 

-------------------------------------------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)  - मिथिलेश वामनकर 

-------------------------------------------------------

Views: 751

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 18, 2014 at 7:46pm
डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर रचना पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 18, 2014 at 7:29pm

ईश्वर  ने कैसा रचा, तेरा  मेरा साथ ।

मेरी ताकत बन गए, मेंह्दी वाले हाथ ।४।-----बहुत सुन्दर 

बहुत अच्छी दोहावली रची है ,हार्दिक बधाई 

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 18, 2014 at 6:10pm

दोहों की अच्छी रचना हुयी है  i अंतिम दोहे में धूप  के स्थान पर धुप शायद टंकण त्रुटि है i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 18, 2014 at 11:05am
आदरणीय डॉ विजय शंकर जी आपको रचना पसंद आई लिखना सार्थक हुआ इस प्रोत्साहन के लिए आभार धन्यवाद

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 18, 2014 at 11:03am
आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी रचना को समय देने के लिए आपका आभार धन्यवाद।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 18, 2014 at 3:46am
वाह , कुछ काल्पनिक , कुछ वास्तविक। सुन्दर। बधाई आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 2:15am

बहुत ही सुन्दर रचना 

ईश्वर  ने कैसा रचा, तेरा  मेरा साथ ।

मेरी ताकत बन गए, मेंह्दी वाले हाथ । हार्दिक बधाई आदरणीय मिथिलेश भाई !सादर !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service