For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौसम भी नीर बहायेगा ………….

मौसम भी नीर बहायेगा …

भोर होते ही
चिड़ियों का कलरव
इक पीर जगा जाएगा
सांझ होते ही सूनेपन से
हृदय पिघल जाएगा
मुक्त- केशिनी का संबोधन
इक छुअन की याद दिलायेगा
बिना पिया के राह का हर पग
अब बोझिल हो जाएगा
निष्ठुर पवन का वेग भला
कैसे दीप सह पायेगा
रैन बनी अब हमदम तुम बिन
चिरवियोग तड़पायेगा
जाने जीवन के पतझड़ में
मधुमास कब आयेगा
अश्रु बूंदों से तब तक दिल का
स्मृति आँगन गीला हो जाएगा
प्राण प्रिय तुम प्राण मेरे हो
रुष्ट न होना मुझसे तुम
सिसकती साँस की स्वर लहरी से तो
मौसम भी नीर बहायेगा

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 18, 2014 at 7:40pm

आदरणीय   मिथिलेश वामनकर    जी रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on December 18, 2014 at 7:40pm

आदरणीय  शिज्जु "शकूर"   जी रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on December 18, 2014 at 7:39pm

आदरणीय  vijay nikore  जी रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति का तहे दिल से शुक्रिया।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 17, 2014 at 11:11pm

इस बेहतरीन, सुन्दर और भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाइयाँ आदरणीय सुशील सर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 17, 2014 at 8:42pm

आदरणीय सुशील सरना सर बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना है सादर बधाई 

Comment by vijay nikore on December 16, 2014 at 9:40pm

अति सुन्दर भाव-प्रधान रचना। बधाई।

Comment by Sushil Sarna on December 16, 2014 at 7:04pm

आदरणीया  rajesh kumari    जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसात्मक  अभिव्यक्ति का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on December 16, 2014 at 7:03pm

आदरणीय   Dr. Vijai Shanker   जी रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति का तहे दिल से शुक्रिया

Comment by Sushil Sarna on December 16, 2014 at 7:02pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on December 16, 2014 at 7:01pm

आदरणीय Shyam Narain Verma   जी रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति का तहे दिल से शुक्रिया। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service