For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"सर, मैं मुंबई वाले प्राॅजेक्ट पर आपके साथ नहीं चल पाऊँगी।"- कहते हुए निशा ने फोन रख दिया।
"क्या हुआ निशा?"- अपनी बहन को परेशान देखकर नीरज ने पूछा।
"भैया हमारी कम्पनी एक नया प्राॅजेक्ट शुरू कर रही है। बाॅस मुझे मुंबई साथ में चलने की जिद्द कर रहे हैं और मैं वहाँ अकेले उनके साथ जाना नहीं चाहती। बाॅस कह रहे हैं अगर साथ नहीं चली तो समझो जाॅब गई। भैया फिर घर का खर्चा कैसे चलेगा?"
पढाई पूरी करने के बाद बेरोजगार घुम रहे नीरज का सपना बहुत बड़ा आदमी बनने का था लेकिन आज अपनी बहन को दुविधा में देखकर उससे आँखें नहीं मिला पा रहा था।
"निशा तुम्हें किसी के साथ कहीं जाने की जरूरत नहीं है अगर जाॅब जाती है तो जाए। तुम कोई और जाॅब ढूंढ लेना।"
अगले दिन नीरज एक ठेला किराये पर ले आया और उसमें चने-नमकीन वगैरह भरकर बेचने शुरू कर दिये। आज उसे अपना सपना बहन की इज्जत के सामने बहुत बौना नजर आ रहा था।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 663

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 16, 2014 at 9:28pm

इस सुन्दर लघु कथा के लिए बधाई

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 15, 2014 at 9:22pm

अच्छी सीख देनेवाली लघुकथा....      

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 15, 2014 at 12:07pm

अच्छी सन्देश प्रद कथा i

Comment by विनोद खनगवाल on December 13, 2014 at 10:14pm
आदरणीय मिथिलेश जी आपका भी धन्यवाद।
Comment by विनोद खनगवाल on December 13, 2014 at 10:13pm
आलोक जी उत्साह बढाने के लिए आभार।
Comment by विनोद खनगवाल on December 13, 2014 at 10:12pm
आदरणीय श्याम नारायण जी धन्यवाद
Comment by विनोद खनगवाल on December 13, 2014 at 10:11pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी टिप्पणी के लिए आभारी हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 13, 2014 at 7:19pm

बहुत अच्छी कहानी है ..बहुत बहुत बधाई 

Comment by Alok Mittal on December 13, 2014 at 1:30pm

भाई बहुत अच्छी कहानी है ...शानदार

Comment by Shyam Narain Verma on December 13, 2014 at 10:15am

इस सुंदर संदेशप्रद लघु कथा के लिए तहे दिल बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी प्रस्तुति पर पुन: आता हूँ।  करूँगा मैं चर्चा सबुर आप…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी इस प्रस्तुति पर पुन: आऊँगा।  शुभातिशुभ"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service