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तनहा तनहा ही रहना है ! (ग़ज़ल)

२२ २२ २२ २२

फेलुन - फेलुन - फेलुन - फेलुन


तनहा तनहा ही रहना है !
दर्द सभी अपने सहना  है !!

रहता वो अपने मैं गुमसुम !
शांत नदी जैसे बहना है !!

उसको साथ मिला अपनों का !
अब उसको क्या कुछ कहना है

वो है नेता का साला तो !
क्या अब उसको भी सहना है !!

घर से जाते तुमने देखा !
कहिये उसने क्या पहना है !!

लड़का उसका बिगड़ा है तो !
घर फिर तो इसका ढहना है !!

"मौलिक और अप्रकाशित "

** आलोक **

मथुरा

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Comment

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Comment by Shyam Narain Verma on November 29, 2014 at 9:54am

बहुत खूब ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, गजल पर आपको दिल से बधाई

Comment by Alok Mittal on November 29, 2014 at 8:36am

आद. Hari Prakash Dubey जी...आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Hari Prakash Dubey on November 28, 2014 at 11:55pm

 लड़का उसका बिगड़ा है तो !

घर फिर तो इसका ढहना है !!   सुन्दर प्रयास ,बधाई श्री मित्तल जी !

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