For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ही सच्चा किरदार

एक ही सच्चा किरदार।
बाकी सब किरायेदार।।

खुद को इंशा कहता है।
उसके गम भी ले उधार।।

कितने भूंखे मरते हैं।
कभी तो पढ़ ले अखबार।।

बड़ा अज़ीब बन्दा है वो।
दुश्मनों से करता प्यार।।

जबसे प्यार कर लिया है ।।
लोग कहते हैं बीमार।।

तुझको फिर से नज़र लगी।
जाके कभी नज़र उतार।।
*********************
-राम शिरोमणि पाठक
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 815

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on November 26, 2014 at 11:05am
हरि प्रकाश जी बहुत आभार
Comment by Hari Prakash Dubey on November 26, 2014 at 2:20am

सुन्दर, रचना । बधाई आपको !

Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 8:08pm
सोमेश भाई बहुत आभार
Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 8:06pm
आदरणीया छाया जी बहुत आभार
Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 8:05pm
आदरणीय आलोक जी बहुत आभार आपका।।
Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 8:04pm
डॉ विजय साहब बहुत आभार
Comment by somesh kumar on November 25, 2014 at 7:31pm

वाह!

Comment by Alok Mittal on November 25, 2014 at 6:19pm

बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई आपकी भाई ..बहुत बधाई आपको

...

Comment by Chhaya Shukla on November 25, 2014 at 6:01pm

सहज सहज में सब कह दिया आपने अर्थवान रचना बधाई आपको !

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 25, 2014 at 5:39pm
सरल, सुन्दर, सारगर्भित। बधाई आदरणीय राम शिरोमणि जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, उत्साहवर्धन करती आपकी प्रतिक्रिया के लिये हार्दिक आभार "
17 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय गिरिराज जी, उत्साहवर्धन करती इस प्रतिक्रिया के लिये हार्दिक आभार "
21 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय गिरिराज जी, उत्साहवर्धन करती इस प्रतिक्रिया के लिये हार्दिक आभार "
24 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"शाबाशी की थपकियाँ, सच्ची सी आशीष ।अपनों के ही प्यार में, खिलते पुष्प शिरीष ।।//वाह...बहुत सुन्दर…"
32 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"क़र्ज़ के दलदल में धँसती जा रही है ज़िन्दगी  कब तलक ख़ैरात ही से घर चलाए जाएँगे...वाह…"
37 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय सुशील कुमार सरना जी आदाब, सुंदर दोहा सप्तक के लिए बधाई स्वीकार करें। "
58 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी आदाब, आपकी रचना बहुत अच्छी लगी, बधाई स्वीकार करें। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आदाब, मुझे गीत विधा की जानकारी नहीं है, लेकिन रचना अच्छी लगी है,…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब, मनभावन, बहुत उम्दा कविता हुई है ढेरों दाद और मुबारकबाद क़ुबूल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, समसामयिक सुंदर ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बागापतवी  जी , आपका बहुत शुक्रिया , आपकी सलाह के अनुसार  बदलाव कर लूंगा "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  सुशील भाई ,  अच्छी . व्यवहारिक सलाहें  देते आपके  सभी दोहे बढ़िया लगे ,…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service