For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन दे उल्लास मन को ? .. सुलभ अग्निहोत्री

कौन दे उल्लास मन को ? फिर वसन स्वर्णिम, किरन को ?
हो गये जो स्वप्न ओझल फिर दरस उनके नयन को ?

कोपलों पर पहरुये अंगार धधके धर रहे हैं
साधना कापालिकी उन्माद के स्वर कर रहे हैं
त्राहि मांगें अश्रु किससे, वेदना किसको दिखायें
कौन दे स्पर्श शीतल अग्निवाही इस पवन को ?

कोटि दुःशासन निरंतर देह मथते, मान हरते
द्रौपदी का आर्त क्रंदन अनसुना श्रीकृष्ण करते
नेह के पीयूष से अभिषेक कर फिर कौन दे अब
भाल को सौभाग्य कुमकुम, आलता चंचल चरन को ?

दिग्भ्रमित दिग्पाल सारे, भाल-नत नग-श्रंखलायें
नेत्र किसकी बाट जोहें, कण्ठ अब किसको बुलायें
वक्ष में घुमड़े घनों से, श्रान्त मन है, क्लान्त तन है
कौन आकर दे सकेगा कान्ति फिर धूसर गगन को ?

झुरमुटों को पुष्प मुकुलित, झुटपुटों को चन्द्रिका नव
आँधियों को मृदु समीरण, भीत खग को मुक्त कलरव
सृष्टि में मधु मोद भर के, हर्ष का अतिरेक भर के
कौन दे उत्साह, ऊर्जा, साधना-संचित सृजन को ?

------------------  मौलिक तथा अप्रकाशित

Views: 778

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 2, 2014 at 12:14pm

आदरणीय सुलभ जी इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Pawan Kumar on September 30, 2014 at 11:03am

अनुपम प्रस्तुति के लिए सादर बधाई ..

Comment by harivallabh sharma on September 30, 2014 at 1:28am

बहुत ही उत्कृष्ट रचना आदरणीय सुलभ जी,कितने सारे प्रश्न हैं कि जिनके जबाब आज मिलते नहीं है...

झुरमुटों को पुष्प मुकुलित, झुटपुटों को चन्द्रिका नव
आँधियों को मृदु समीरण, भीत खग को मुक्त कलरव
सृष्टि में मधु मोद भर के, हर्ष का अतिरेक भर के
कौन दे उत्साह, ऊर्जा, साधना-संचित सृजन को ?............सुन्दर सृजन हेतु बधाई आपको.

Comment by Vivek Jha on September 29, 2014 at 4:53pm

बहुत ही उत्कृष्ट रचना है सुलभ जी, सुन्दर शब्दों के साथ भावसंपन्न इस कविता के लिए एक गीत है - तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर, तुम सुन्दरता की मूरत हो" 

Comment by khursheed khairadi on September 29, 2014 at 8:13am

आदरणीय सुलभ जी अति सुन्दर रचना है |हार्दिक अभिनन्दन 

कोटि दुःशासन निरंतर देह मथते, मान हरते
द्रौपदी का आर्त क्रंदन अनसुना श्रीकृष्ण करते
नेह के पीयूष से अभिषेक कर फिर कौन दे अब
भाल को सौभाग्य कुमकुम, आलता चंचल चरन को ?

इस अंतरे पर कोटि  नमन आपकी कलम को 

सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 28, 2014 at 7:51pm

सुन्दर शब्दों का प्रयोग सुन्दर भाव ...बहुत खूबसूरत प्रस्तुति 

कोटि दुःशासन निरंतर देह मथते, मान हरते
द्रौपदी का आर्त क्रंदन अनसुना श्रीकृष्ण करते
नेह के पीयूष से अभिषेक कर फिर कौन दे अब
भाल को सौभाग्य कुमकुम, आलता चंचल चरन को ?----बहुत सही लिखा ---वक़्त  बदला संवेदनाएं बदली लुटती अबलायें आज गली गली यही सब तो हो रहा है कोई कृष्ण बचाने नहीं आता ..

हार्दिक बधाई आपको इस सार्थक प्रस्तुति पर आ० सुलभ  जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service