For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है अपनी नस्ल पे भी फख्र अपने गम की तरह से .. - सुलभ अग्निहोत्री

है अपनी नस्ल पे भी फख्र अपने गम की तरह से
दिलों में घर किये हुए किसी वहम की तरह से

बहारें छोड़ती गईं निशान कदमों के मगर
उजाड़ मंदिरों के भव्य गोपुरम की तरह से

खरा है नाम पर नसीब इसका खोटा है बड़ा
ये मेरा देश बन के रह गया हरम की तरह से

बचे हैं गाँठ-गाँठ सिर्फ गाँठ भर ही रिश्ते सब
निभाये जा रहे हैं बस किसी कसम की तरह से

सजा गुनाह की उसे अगर दें, कैसे दें बता ?
हमारी रूह में बसा है वो धरम की तरह से

मेरी कराह मेरे लाख रोके रुक नहीं सकी
नहीं था उसपे जोर कुछ मेरे जनम की तरह से

सुलभ

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 541

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sulabh Agnihotri on November 23, 2014 at 11:05am

आदरणीय योगराज जी!
बहुत-बहुत आभार।
मैं दरअसल हिन्दी में ही सोचता हूं और हिन्दी में ही लिखता हूं, चाहे वह कोई भी विधिा हो। ‘‘जात’’ का मतलब अगर वही है जो ‘‘जाति’’ का है तो कोई दिक्कत नहीं है। कृपया ‘‘जा़त’’ के मायने स्पष्ट करते हुए मार्गदर्शन कीजिए।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 3:53pm

//बहारें छोड़ती गईं निशान कदमों के मगर
उजाड़ मंदिरों के भव्य गोपुरम की तरह से//

बहुत खूब आ० सुलभ अग्निहोत्री जी। एक छोटी सी गुज़ारिश, मतले के ऊला में "नस्ल" को "ज़ात" करना करना क्या बेहतर न होगा ?

Comment by Sulabh Agnihotri on October 2, 2014 at 7:41pm

बहुत-बहुत आभार rajesh kumari जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on October 2, 2014 at 7:40pm

बहुत-बहुत आभार Pawan Kumar जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on October 2, 2014 at 7:40pm

बहुत-बहुत आभार विजय मिश्र  जी !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 26, 2014 at 7:34pm

बचे हैं गाँठ-गाँठ सिर्फ गाँठ भर ही रिश्ते सब
निभाये जा रहे हैं बस किसी कसम की तरह से----बहुत शानदार 

बहुत खूब प्रस्तुति ,बधाई आपको 

Comment by Pawan Kumar on September 26, 2014 at 5:56pm

सुन्दर रचना, बधाई सादर!

Comment by विजय मिश्र on September 26, 2014 at 5:38pm
"मेरी कराह मेरे लाख रोके रुक नहीं सकी
नहीं था उसपे जोर कुछ मेरे जनम की तरह से |- सुलभजी , बहुत सुंदर भाव उभरे हैं | अनेक बधाई |
Comment by Sulabh Agnihotri on September 22, 2014 at 5:24pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय Santlal Karun  जी !

Comment by Santlal Karun on September 21, 2014 at 9:58pm

आदरणीय अग्निहोत्री जी,

ग़ज़ब की ग़ज़ल हुई है, अति सुन्दर --

"बहारें छोड़ती गईं निशान कदमों के मगर
उजाड़ मंदिरों के भव्य गोपुरम की तरह से"

...हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service