For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल..टल लिया जाए.

२१२२   १२१२   २२ 

 

क्यों न चुपचाप चल लिया जाए.

बात बिगड़े न टल लिया जाए.

--

जर्द हालात हैं ज़माने के.

रास्ता ये बदल लिया जाये.

--

दायरे तंग हो गए दिल के.

घुट रहा दम निकल लिया जाए.

--

थक गए पाँव चलकर मगर सोचा.

साथ हैं तो टहल लिया जाए.

--

बर्फ सी जीस्त ये जमी क्यों थी.

खिल गयी धूप गल लिया जाए.

--

वारिशें इश्किया शरारों की.

भींगते ही फिसल लिया जाए.

--

चार दिन ही रही मुअइयन तो.

दो घड़ी को बहल लिया जाए.      **हरिवल्लभ शर्मा दि.22.09.2104

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harivallabh sharma on September 24, 2014 at 1:48am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव साहब आपकी उत्साहित करती हुयी टीप हेतु हार्दिक आभार.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 23, 2014 at 6:27pm

आदरणीय हरिवल्लभ जी

बेहतरीन i सुन्दर i

Comment by harivallabh sharma on September 23, 2014 at 4:13pm

आदरणीय khursheed Khairadi जी आपका हार्दिक आभार ...हौसला अफजाई का दिली शुक्रिया.

Comment by khursheed khairadi on September 23, 2014 at 10:09am

बर्फ सी जीस्त ये जमी क्यों थी.

खिल गयी धूप गल लिया जाए.

आदरणीय हरिवल्लभ शरमा जी ,दिल से दाद कबूल फरमाएं |उम्दा ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई |सादर 

Comment by harivallabh sharma on September 22, 2014 at 8:15pm

आदरणीय Dr. Viajy Shanker जी आपकी प्रोत्साहित करती हुयी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार..सादर.

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 22, 2014 at 5:21pm
क्यों न चुपचाप चल लिया जाए.
बात बिगड़े न टल लिया जाए.
अच्छी ग़ज़ल बनी , बधाई , आदरणीय हरी वल्लभ शर्मा जी .
Comment by harivallabh sharma on September 22, 2014 at 5:18pm

आदरणीय narendrasinh chauhan साहब आपका प्रोत्साहन जरुर हौसला बढ़ता है...आपका बहुत आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service