For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रूप अनूप निहारा करूँ /// सवैय्या

 विधान : 7  सगण + 1 एक रगण (कुल 24 वर्ण )

 

घन राति अमावस पावस की तम तोम म बैठि  गुजारा करूँ I 

गुनिकै मन मे रतनाकर के जल नील क नक्श उतारा करूँ  I

सुषमा नभ की अवलोकि सदा मन में यहु भाव विचारा करूँ I

जग माहि रचा व बसा   प्रभु  का वह रूप अनूप निहारा करूँ I

 

*                                         *                                     *

करि सम्पुट नैन भली विधि सों, प्रभु को धरि ध्यान निहारा करूँ I

कछु भक्ति करूँ, कछु ध्यान धरूँ, तन छार करूँ, मन मारा करूँ I

जब   प्रेम  सुपीर  जगै   उर  में   तब  जाय   क  रंचु  सहारा  करूँ I

प्रभु   चंद्रहि   चातक  की   तरियो  वह   रूप   अनूप   निहारा   करूँ I     

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 1, 2014 at 11:51am

आदरणीय सौरभ जी

आपका कथन सत्य है i  गुजारा करू में रा पर जोर न  होने से (राकरू)  रकरूं  भी सगण  हुआ और सवैय्या  दुर्मिल  i सादर i


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 31, 2014 at 10:23pm

आदरणीय गोपाल नारायनजी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद. किन्तु, वैधानिक रूप से क्या इस दण्डक का कोई नाम है ? मुझे नहीं लगता.

आदरणीय, सगण की आठ आवृतियाँ दुर्मिल सवैया का कारण बनती हैं. इस सवैया के अंत के एक सगण को परिवर्तित किया जाय तो सगणात्मक सवैये के अन्य सवैये, यथा, सुन्दरी, अरविन्द, सुख, सुखी सवैया के वर्णक्रम बनते हैं.

आपकी प्रस्तुति में भी अंत का रगण आरोपित ही है, आदरणीय.
तभी गुजारा, उतारा, विचारा, निहारा आदि-आदि तुकान्त शब्दों का अंतिम अक्षर ’रा’ गुरु की तरह उच्चारित न हो कर लघु की तरह उच्चारित हो रहा है, और वर्णक्रम में आठ सगण की आवृति यानि दुर्मिल सवैया का भ्रम हो रहा है.

सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 9:24pm

मित्र गिरिराज जी

आपका स्नेह यूँ ही मिलता रहे i  सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 9:23pm

राम शिरोमणि जी

आपका आभार  i आपकी जिज्ञासा कुछ अस्पष्ट सी है i जहाँ तक मै समझा हूँ  रूप अनूप निहारा करूं को बार बार दोहराने के औचित्य की बात है i तो मित्र आप ऐसा हजार बार कर सकते है -यह तो एक टेक मात्र है i आधुनिक रसखान  ने ऐसे कई सवैय्ये रचे हैं i  सस्नेह i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2014 at 5:42pm

आ. बड़े भाई गोपाल जी , बहुत सुन्दर प्रवाह मयी सवैया की रचना हुई है , आनंद आ गया पढ़ के , आपको दिली बधाइयाँ |

Comment by ram shiromani pathak on September 7, 2014 at 1:14pm
बहुत सुन्दर सवैया छंद आदरणीय गोपाल जी बहुत बहुत बधाई आपको ।सादर
एक ही छंद निहार करूँ तुकंतता क्या उचित है आदरणीय कृपा कर मार्गदर्शन करें।।।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 11:41am

सुलभ जी

आपका शत-शत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 11:39am

श्याम नारायन जी

आपका बहुत बहुत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 11:37am

अखिलेश जी

आपके अनुमोदन से प्रसन्नता हुयी I मुझे कोई शब्द कठिन लगा नहीं तो अर्थ देना जरूरी नही समझा  i पर  आगे आपकी सलाह पर अमल करूंगा i आपको पता है कि सवैय्या  आदि में न ने हो सकता है यदि उच्चारण पर जोर न हो i पर आलोचकों की दुनिया बड़ी निराली है  i उन्हें भी देखना पड़ता है i  आप जैसे जानकर का अनुमोदन मेरे लिए प्रेरणा की वस्तु है   i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 11:29am

नीरज जी

आपके प्रोत्साहन का आभारी हूं   i सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service