For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिक्षक यदि तुम गुरु बन जाते

कोटि-कोटि छात्रो के मस्तक चरणों में झुक जाते I

 

तुम ही अपना गौरव भूले

लोभ -मोह  झूले पर झूले

व्यर्थ दंभ पर फिरते फूले

थोडा सा पछताते I

 

धर्म तूम्ही ने अपना छोड़ा

अध्यापन से मुखड़ा मोड़ा

राजनीति से  नाता जोड़ा

तब भी न शरमाते  I

 

कितनी धवल तुम्हारी काया

तुमने उस पर मैल चढ़ाया

शिक्षा को व्यवसाय बनाया

फिरते हो इतराते I  

 

पद्धति की भी बलिहारी है

वोटो    की    मारा-मारी     है

यह शिक्षा जग से न्यारी है

नत-शिर तनिक उठाते I

 

बच्चे    विद्यालय    में  आते

बिना    परिश्रम   भोजन पाते

सर्व शिक्षा को सफल बनाते  

हा ! प्रसून मुरझाते I

 

शिक्षक     के    दायित्व  निराले

शासन कुछ  भी काम करा ले

समय न दे फिर भी पढवा ले

हंसकर सब सह जाते I

 

बच्चे भी है     बहुत सयाने

राजनीति की गति पहचाने

विद्यालय      जाते है खाने

किसको मूर्ख बनाते ?

 

इससे   बढ़कर   खेल   न होगा

कोई   बच्चा    फ़ैल     न होगा

सचमुच नौ मन तेल न होगा

नैनों में जल छाते I

 

शिक्षक सचमुच बेचारे हो

हीन व्यवस्था के मारे हो

पर तुम दाहक अंगारे हो

तनिक ज्वलित हो जाते I

 

प्रिय अपना    इतिहास टटोलो

आलास बंद आँखे कुछ खोलो

सरस्वती  माँ  की  जय  बोलो

जय से क्यों घबराते I

 

यदि तुम अपने पर आ जाओ

तुलसी,     सूर,    कबीर  बनाओ

गीत भक्ति रस के कुछ गाओ

किंगरी मधुर बजाते I

 

जीवन   की    सच्चाई    क्या है

संसृति  की   गहराई     क्या है

ब्रह्म सत्य है जग मिथ्या है

सच्चा ज्ञान कराते I

 

तो फिर वीरासन पर आओ

शासन को    भी पाठ  पढाओ  

जगत्गुरु फिर से बन जाओ

आशा  ज्योति जगाते I

 

शिक्षक यदि तुम गुरु बन जाते

कोटि-कोटि छात्रो के मस्तक चरणों में झुक जाते I

 

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 15, 2014 at 3:30am

आदरणीय गोपाल नारायन जी, हालाँकि प्रस्तुति तनिक लम्बी हो गयी है परन्तु अपने उद्येश्य में सफल है. आपने कई प्रसंगिक विन्दुओं को सटीक ढंग से उठाया है.

वैसे, आदरणीय, शिक्षक कभी गुरु नहीं माना गया है. न हो सकता है.

गुरु एक अवधारणा है, एक उत्तरदायित्व है. शिक्षक होना एक व्यवसाय को प्राप्त होना है. फिर भी, आज के व्यवहार में इस व्यवसाय की प्रासंगिकता बहुमुखी है. 

गहन वैचारिक प्रस्तुति पर हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by annapurna bajpai on September 7, 2014 at 5:37pm

अति सुंदर , प्रेरक और व्यंग्य रचना बहुत बधाई आपको 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 11:48am

श्याम नारायन जी

आपका  आभार i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 11:48am

हरिवल्लभ शर्मा जी

आपके प्रोत्साहन से प्रसन्नता हुयी i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 11:46am

विजय सर !

आपका आभार प्रकट करता हूँ i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 11:45am

महनीया रामानी जी

आपका आशीर्वाद मिला i आभारी हू i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 11:44am

पवन कुमार जी

आपके प्रोत्साहन हेतु धन्यवाद i आभारी हूँ i

Comment by Shyam Narain Verma on September 6, 2014 at 4:22pm
" बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई  "
Comment by harivallabh sharma on September 5, 2014 at 11:55pm

शिक्षक क्या से क्या हो गए हैं वाकई चिंता का विषय है...

तो फिर वीरासन पर आओ

शासन को    भी पाठ  पढाओ  

जगत्गुरु फिर से बन जाओ

आशा  ज्योति जगाते I..परन्तु जब आज भी कुछ भी करने की क्षमता शिक्षक में होनी चाहिए...दृढ संकल्प यद् कराती रचना ..शिक्षक दिवस पर सार्थक प्रस्तुति  हेतु....बधाई आदरणीय.

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 5, 2014 at 9:10pm

आज शिक्षा सबसे बड़ा कारोबार, व्यवसाय बन गया है , न जाने कितने कारोबारी "एजुकेशनिष्ट " बन गए , शिक्षा जिसे देश, संस्कृति , शासन सब अपने
नियंत्रण में रखना चाहिए , अशिक्षितों के हाथों कठपुतली बन गयी।
आदयणीय डॉo गोपाल नारायण जी आप ने तो बहुत कुछ कह दिया पर कर्णहार ध्यान दें .
आपकी इस सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाइयां।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service