For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

२१२२/११२२/22 (११२)
.
यूँ वफ़ाओं का सिला मिलता रहा,
ज़ख्म हर बार नया मिलता रहा.
.

एक छोटी सी मुहब्बत का गुनाह,
और इल्ज़ाम बड़ा मिलता रहा.
.

मै तुझे दोस्त मेरा कैसे कहूँ,
तू भी तो बन के ख़ुदा मिलता रहा..
.

कोई मंज़िल न मिली मंज़िल पर,
सिर्फ मंज़िल का पता मिलता रहा.
.

एक दिन मैंने मनाया जो उसे,
फिर वो बेबात ख़फ़ा मिलता रहा.
.

मेरी तहज़ीब, मिलूँ मै झुककर,
शख्स हर एक बड़ा मिलता रहा.   
.
निलेश "नूर" 
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 871

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ketan Kamaal on September 5, 2014 at 10:42pm
Nilesh ji bahut khoob ghazal hai bhai ji kya kahne hai aapke
Comment by MAHIMA SHREE on September 5, 2014 at 4:20pm

मेरी तहज़ीब, मिलूँ मै झुककर,
शख्स हर एक बड़ा मिलता रहा.  लाजवाब हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय निलेश जी  

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 5, 2014 at 2:57pm

धन्यवाद आ. राजेश कुमारी जी ..
सोचते सोचते ..मैंने भी यही लिखा है मेरी प्रति में ... लेकिन यहाँ शायद छूट गया ...
धन्यवाद ..दिल से 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 5, 2014 at 2:56pm

धन्यवाद आ लक्ष्मण जी, नरेन्द्र सिंह जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 5, 2014 at 12:25pm

मेरी तहज़ीब, मिला मै झुककर,
हर कोई मुझसे बड़ा मिलता रहा.    ----ये सही है ऐसा करने से मिसरा काल दोष मुक्त होगा 

हमेशा की तरह बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है 

कोई मंज़िल न मिली मंज़िल पर,
सिर्फ मंज़िल का पता मिलता रहा.----सबसे पसंदीदा शेर ,ग़ज़ल पर दिली दाद कबूलें 
.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 5, 2014 at 11:55am

आदरणीय भाई नीलेश जी , एक से बढ़कर एक शेर कहे हैं । इस सम्पूर्ण गजल के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 5, 2014 at 11:17am

शुक्रिया आ. डॉ गोपाल नारायण जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 5, 2014 at 11:16am

शुक्रिया आ डॉ. विजय शंकर  जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 5, 2014 at 11:16am

शुक्रिया आ. भुवन जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 5, 2014 at 11:16am

शुक्रिया आ. गिरिराज जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
1 minute ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
21 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
29 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
36 minutes ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
46 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
52 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"भाई बृजेश जी, आपको ओबीओ के मेल के जरिये इस व्याकरण सम्बन्धी दोष के प्रति अगाह किया था. लेकिन ऐसा…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service