For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ..तालीम-ओ-तरबीयत ने यूँ ख़ुद्दार कर दिया

गागा लगा लगा /लल /गागा लगा लगा 

तालीम-ओ-तरबीयत ने यूँ ख़ुद्दार कर दिया,
चलने से राह-ए-कुफ़्र पे इनकार कर दिया.
.

मै ज़ीस्त के सफर में गलत मोड़ जब मुड़ा,
मेरी ख़ुदी ने मुझको ख़बरदार कर दिया.
.

इज़हार-ए-इश्क़ में वो नज़ाकत नहीं रही,                      
क्या दिल की धडकनों को भी अखबार कर दिया??
.
हम आदमी थे काम के ग़ालिब तेरी तरह,   
लेकिन हमें भी इश्क़ ने बेकार कर दिया.
.
सुन ऐ हकीम अब तू दवा मैक़दे की दे, 
तेरी दवाइयों ने तो बीमार कर दिया.
.

फिर आज उनकी तल्ख़ बयानी हुई है तेज़,
फिर आज मैंने मिलने से इनकार कर दिया.
.
बरसा ख़ुदा का
नूर तो रौशन हुई ग़ज़ल,
जुगनू बना के मुझ को चमकदार कर दिया. 
.
निलेश "नूर"

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 1458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 21, 2020 at 7:54pm

आ. Saurabh Pandey सर, 
२०१४ की इस ग़ज़ल में आप सभी दाद पाकर संतुष्ट हूँ लेकिन इस की एक त्रुटी आज पकड़ में आई है..
ईश्वर का लाख लाख धन्यवाद है कि मैंने अब तक कोई किताब नहीं छपवाई अन्यथा ये त्रुटी ताउम्र मेरे नाम के साथ चस्पा रहती. एक शेर..
.
सुन ऐ हकीम अब तू दवा मैक़दे की दे, 
तेरी दवाइयों ने तो बीमार कर दिया.
इस शेर में आज सन २०२० में अहसास हुआ 
 कि दवाइयों की जगह दवाओं सहीह रहता अत इस मिस्ते को यूँ पढ़ा जाए,,,,,,
तेरी दवाओं ने मुझे बीमार क्र दिया ..
.
धन्यवाद ..आभार 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 2, 2014 at 1:38pm

शुक्रिया आ. नरेन्द्र सिंह जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 2, 2014 at 1:36pm

शुक्रिया आ. मोहन जी

Comment by मोहन बेगोवाल on September 2, 2014 at 7:15am

 नीलेश जी, लाजवाब गज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई हो  गज़ल का मतला उम्दा हुआ 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 29, 2014 at 12:56pm

एडमिन टीम का बहुत बहुत आभार जो इस रचना को फ़ीचर पोस्ट्स में स्थान दिया गया 
आभार 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 29, 2014 at 12:54pm
शुक्रिया अलोक जी
Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 29, 2014 at 12:54pm
शुक्रिया अलोक जी
Comment by Alok Mittal on August 29, 2014 at 11:10am

बहुत सुंदर ग़ज़ल नूर भाई ....दिली दाद आपको 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 29, 2014 at 9:21am

शुक्रिया शिज्जू भाई ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 29, 2014 at 9:20am

आदरणीय निलेश भैया आपकी ग़ज़ल तो हमेशा ही लाजवाब होती है, आपके
अपर कट से सीमा रेखा से गेंद बाहर ही जाती है, बेहतरीन ग़ज़ल के लिये दिल से बधाई आपको।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service