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अतुकांत कविता

सोचा था आईने की तरह
साफ़ रखूँगी अपना चेहरा
पर कुछ तो है जो छिपा जाती हूँ
यूँ भाव चेहरे के बदल लेती हूँ
कि कहीं प्रतीयमान न हो जाये|

बोलती थी कभी बेधड़क हो
कुछ तो है जो किसी कोने में
मौनव्रत रख बैठ जाती हूँ
कि कही कुछ प्रतीप न हो जाये|

आँखों में भी दिखता था कभी
दूसरे की गलत बातो का प्रतिकार
पर किसी का तो डर है जो
अब आँखों को झुका लेती हूँ
कि कही कोई प्रतिलोम ना हो जाये|

किसी भी घटना पर कुछ कह ना दूँ
इसी कारण खुद को परे कर लेती हूँ
सुनने की आदत नहीं है अतः
झगड़े से खुद को ही परे रख
अपने उद्वेलित भाव छुपा लेती हूँ
कि कही कोई प्रतिवाद ना हो जाये|

किसी भी अंगप्रत्यंग से
प्रतिबोध झलक ना जाये
इसी डर से अब मैं अक्सर
लोगो से कतराने लगी हूँ
भीड़ से परे रखती हूँ खुद को
कि कोई कही प्रतिघाती न हो जाये|| 

सविता मिश्रा
"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by savitamishra on August 30, 2014 at 11:39pm

alok भाई दिल से शुक्रिया अदा करते है हम आपका

Comment by Alok Mittal on August 29, 2014 at 12:17pm

बहुत सुंदर लिखा है आपने सविता जी...

Comment by savitamishra on August 25, 2014 at 11:35pm

सौरभ भैया सादर नमस्ते.हमें बहुत खेद है भैया हम आपका उत्तर देख नहीं पाए ...आज देख रहे थे कौन सी रचना सही करने को कहीं गयी तब यह कमेन्ट दिखा ......आशा है छोटी समझ गलती माफ़ करेगें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 12:41pm

इसी तोष में सं उपसर्ग लगे तो संतोष शब्द बनता है. तोष ही एक अन्य रूप में तुष्टि हो जाता है. इस तरह से तोषकारी का अर्थ यही हुआ न कि यह तुष्टिदायी है. है न ?

शुभेच्छाएँ

Comment by savitamishra on August 5, 2014 at 9:54am

सौरभ भैया सादर नमस्ते ...आभार आपका आदरणीय...तोषक मतलब संतुष्ट पर "यह तोषकारी है" तोषकारी मतलब भैया

Comment by savitamishra on August 5, 2014 at 9:53am

विजय चाचाजी सादर नमस्ते .....आभार आपका आदरणीय


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 4, 2014 at 12:09pm

अभिव्यक्ति के माध्यम से हुई आत्मचर्चा में पारदर्शिता है. यह तोषकारी है. आदरणीया, सादर बधाइयाँ
शुभ-शुभ
 

Comment by vijay nikore on August 3, 2014 at 3:04pm

//सोचा था आईने की तरह
साफ़ रखूँगी अपना चेहरा
पर कुछ तो है जो छिपा जाती हूँ
यूँ भाव चेहरे के बदल लेती हूँ
कि कहीं प्रतीयमान न हो जाये| //

हम सभी इस भाव-दशा से गुज़रते हैं। सुन्दर अभिव्यक्ति।

बधाई, आदरणीया सविता जी।

Comment by savitamishra on August 2, 2014 at 11:45pm

सादर आभार मीणा sis aur प्राची sis आप दोनों का ही दिल की गहराइयों से

Comment by Meena Pathak on August 2, 2014 at 3:51pm

सुन्दर रचना ..बहुत बहुत बधाई 

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