For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : पेड़ ऊँचा है, न इसकी छाँव ढूँढो

बह्र : २१२२ २१२२ २१२२

कामयाबी चाहिए तो पाँव ढूँढो,

पेड़ ऊँचा है, न इसकी छाँव ढूँढो।

शहर से जो माँग लोगे वो मिलेगा,

शर्त इतनी है यहाँ मत गाँव ढूँढो।

जीत लोगे युद्ध सब, इतना करो तुम,

जो न हो नियमों में ऐसा दाँव ढूँढो।

दौड़ते रहना, यहाँ जिन्दा रहोगे,

भीड़ में मत बैठने को ठाँव ढूँढो।

नभ मिलेगा, गर करो हल्का स्वयं को,

और उड़ने के लिए पछियाँव ढूढो।

-

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 677

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 26, 2014 at 11:10am

बहुत बहुत शुक्रिया Sarita Bhatia जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 26, 2014 at 11:09am

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ बृजेश नीरज जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 26, 2014 at 11:09am

शुक्रिया Meena Pathak जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 26, 2014 at 11:09am

बहुत बहुत शुक्रिया Shyam Narain Verma जी

Comment by vandana on May 25, 2014 at 6:48am

कमाल की ग़ज़ल है आदरणीय बहुत सुन्दर ...सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 23, 2014 at 11:34am

नभ मिलेगा, गर करो हल्का स्वयं को,

और उड़ने के लिए पछियाँव ढूढो।......क्या खूब कहा आदरणीय , बहुत बहुत बधाई .

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 23, 2014 at 11:05am

बहुत बहुत शुक्रिया डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 23, 2014 at 11:04am

धन्यवाद arun kumar nigam जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 23, 2014 at 11:04am

शुक्रिया MUKESH SRIVASTAVA जी

Comment by vijay nikore on May 22, 2014 at 10:08am

इस सुन्दर गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service