For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या भूलूँ क्या याद करूँ ?

क्या भूलूँ क्या याद करूँ ?
सब परछाईं सा लगता है

कब पूछा किसने हाल मेरा
किसने मुझ को दुलराया था
हर काम यहाँ मेरा नसीब
सब कुछ हमको ही करना था

क्या बोलूँ क्या न बोलूँ ?
बस मौन साध के रहना है

घर छोड़ के आई बाबुल का
सोचा ये आँगन मेरा है
पर कोई नहीं जिसे अपना कहूँ
है देश यहाँ बेगानों का

क्या सोचूँ क्या ना सोचूँ ?
बस चंद दिनों का मेला है

सब जन करते निंदा मेरी
करना था वो करती आई
गर फिर भी पात्र हूँ निंदा की
तो सिर आँखों पर निंदा मेरी

क्या देखूँ क्या ना देखूँ ?
ये जग तो सिर्फ छ्लावा है

बस मौन रहो कर्तव्य करो
मत सोच सराहा जाएगा
रिश्तों की ठेलम-ठेला जग
अपने मन में संतोष करो

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना मिश्रा बाजपेई

Views: 763

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on July 18, 2014 at 3:41pm

आ0 भण्डारी जी आप ने बिलकुल सही कहा आगे से ध्यान रखूंगी । बहुत शुक्रिया /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on July 18, 2014 at 3:40pm

आदरणीय भ्रमर जी बहुत बहुत आभार होंसला बढ़ाने के लिए/सादर 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 26, 2014 at 2:51pm

बस मौन रहो कर्तव्य करो
मत सोच सराहा जाएगा
रिश्तों की ठेलम-ठेला जग
अपने मन में संतोष करो


आदरणीया कल्पना जी ..बड़ा दुःख होता है ऐसे वक्त जब आप के काम नजरअंदाज किये जाएँ ...उत्साह बढाती अच्छी रचना
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 23, 2014 at 10:05pm

आदरणीया कलपना जी , सकारात्मक विचारों को जगाता आपकी गीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ !! मात्रायें अलग अलग पंक्ति मे अलग अलग लग रही हैं , जिसके कारण गेयता मे कुछ कमी लग रही है ॥

Comment by kalpna mishra bajpai on May 22, 2014 at 3:14pm

आ० राजेन्द्र जी बहुत आभार आप का /सादर

Comment by kalpna mishra bajpai on May 22, 2014 at 3:13pm

आ० जितेंद्र जी हार्दिक शुक्रिया /सादर

Comment by राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' on May 22, 2014 at 10:48am

उम्दा अभिव्यक्ति ......................बेहतरीन प्रेरणा दायक पंक्तियां ..................बस मौन रहो कर्तव्य करो
मत सोच सराहा जाएगा
रिश्तों की ठेलम-ठेला जग
अपने मन में संतोष करो

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 22, 2014 at 10:01am

बहुत मर्मस्पर्शी रचना, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया कल्पना जी

Comment by kalpna mishra bajpai on May 21, 2014 at 3:09pm

आ० अरुण जी हार्दिक आभार /सादर

Comment by kalpna mishra bajpai on May 21, 2014 at 3:08pm

आ० शिज्जु जी हार्दिक आभार /सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service