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कविता -

शरीर में चुभे हुए काँटे

जो शरीर को छलनी करते हैं;

वह टीस 

जो दिल की धड़कन

साँसों को निस्तेज करती है

 

यह तुम्हें आनंद नहीं देगी

प्रेम का कोरा आलाप नहीं यह

वासना में लिपटे शब्दों का राग नहीं

छद्म चिंताओं का दस्तावेज़ नहीं

इसे सुनकर झूमोगे नहीं

 

यह तुम्हें गुदगुदाएगी नहीं

सीधे चोट करेगी दिमाग पर

तड़प उठोगे

यही उद्देश्य है कविता का

 

रात के स्याह-ताल पर 

नृत्य करने वाले नर-पिशाचों के लिए

नहीं होती कविता

 

कविता पैदा करती है

जिंदा लोगों में झुरझुरी

एक सिहरन!

           - बृजेश नीरज 

(मौलिक व अप्रकाशित)

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 24, 2014 at 7:49pm

आदरणीय बृजेश जी 

आपकी कलम आपके प्रबुद्ध चिंतन का आईना बन कर शब्दों में ढली है.... बिलकुल सच बात कही है...

यह तुम्हें गुदगुदाएगी नहीं

सीधे चोट करेगी दिमाग पर

तड़प उठोगे................................वाह! 

यही उद्देश्य है कविता का

 

रात के स्याह-ताल पर 

नृत्य करने वाले नर-पिशाचों के लिए

नहीं होती कविता

 

कविता पैदा करती है

जिंदा लोगों में झुरझुरी

एक सिहरन!

कथ्य की सान्द्रता नें, सच्चाई नें, गहनता नें बाँध लिया है 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by बृजेश नीरज on April 20, 2014 at 10:02pm

आदरणीय निकोर साहब आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on April 20, 2014 at 9:39pm

आदरणीय प्रदीप जी आपका बहुत-बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on April 20, 2014 at 9:39pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी, सच कहा आपने कविता वाही होती है जो सीधे पाठक से संवाद बना सके!

कविता आपको पसंद आई, मेरा प्रयास सफल हुआ! आपका हार्दिक आभार!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 9:28pm

रात के स्याह-ताल पर 

नृत्य करने वाले नर-पिशाचों के लिए

नहीं होती कविता

निश्चय ही कविता इन लोगों के लिए नही होती 

शानदार कथन बधाई इस पर भी 

आदरणीय श्री ब्रजेश नीरज जी 

सादर/सस्नेह 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 20, 2014 at 9:06pm

सही कहा कविता वही होती है जो सीधे दिल में उतर जाए अपने भावों से आपको जकड ले आपको रचना में अपना ही अक्स दिखने लगे ,जिसके भाव आपको रुलाये ,हँसाएँ उसके शब्द आपसे सीधे वार्तालाप करने लगें ,सच में वो होती है कविता इन्हीं भावों को जिया है आपने इस रचना में ,बहुत-,बहुत पसंद आई ,हार्दिक बधाई आपको ब्रिजेश जी 

Comment by vijay nikore on April 20, 2014 at 12:07pm

कविता पर अच्छी कविता लिखी है। बधाई।

Comment by बृजेश नीरज on April 20, 2014 at 10:59am

आदरणीय राम भाई आपका बहुत आभार!

Comment by ram shiromani pathak on April 20, 2014 at 10:53am

ज़ोरदार कहन बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय भाई बृजेश जी  ..........  हार्दिक बधाई आपको 

Comment by बृजेश नीरज on April 20, 2014 at 8:07am

आदरणीया वंदना जी आपका बहुत-बहुत आभार!

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