मुश्किल में हूँ कान्हा
कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ
मेरे श्याम सांवरे
कैसे तोहे मीठे बैन सुनाऊं
कभी तेरे कुंडल मोहें मोहे
कभी माथे की बिंदिया
कभी तेरी बंसी छेड़े मोहे
कभी अँखियाँ छीने निंदिया
मुश्किल में हूँ कान्हा
कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ
लाल-पीली पगड़ी पे कान्हा
मोती बन माथे पे लटक जाऊं
कभी होठों की लाली मोहे मोहे
कभी भाल का चन्दन
कभी तेरी बतियां सोहे मोहे
कभी राधिका वन्दन
मुश्किल में हूँ कान्हा
कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ
मेरे श्याम सांवरे
कैसे तोहे मीठे बैन सुनाऊं ...........
.
पूनम माटिया 'पूनम'
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
Saurabh Pandey जी .....बृजेश नीरज जी ......जितेन्द्र 'गीत' जी ......आप सभी का हार्दिक धन्यवाद उत्साहवर्धन के लिए
annapurna bajpai जी नमस्कार .....ओ बी ओ से तो बहुत पहले से जुडी हुई हूँ .....लेकिन बस पढ़ती रहती थी और कभी कभी प्रतिक्रिया देने का दुस्साहस कर लेती थी :) पोस्ट पहली बार ही किया कुछ .धन्यवाद आपने सहज अपनाया मुझे
बेहद सुंदर कोमल भाव, बधाई स्वीकारें आदरणीया पूनम जी
अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!
आपका स्वागत है आदरणीया पूनमजी.
आपकी कोशिशों केलिए हार्दिक धन्यवाद. रचनाकर्म के लिए प्रयासरत रहें .. सादर
अरे वाह आ0पूनम जी आप यहाँ ! बहुत बधाई आपको ओबीओ परिवार से जुडने के लिए ।
सुंदर रचना हेतु बधाई स्वीकारें ।
गिरिराज भंडारी जी बहुत धन्यवाद
आदरणीया पूनम जी , बहुत सुन्दर कृष्ण भजन रचना की है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
आदरणीय योगराज जी .....माफ़ी चाहती हूँ .मुझे खुद नहीं मालूम था कि रिप्लाई बॉक्स बंद है
वो तो किसी ने फेसबुक मेसेज में भेजा ......:) खैर देर आये दुरुस्त आये .... लगभग सत्तर मित्र इस पोस्ट
को देख -पढ़ चुके हैं .....किन्तु प्रतिक्रियां इसी वज़ह से नगण्य हैं ....
इसी बीच मैंने अपनी ही रचना को सुधार कर कुछ नया रूप दिया देखिये कैसी बन पाई है ....
कैसी कठिनाई आई, नैनो में बसाऊँ कैसे
मीठे-मीठे बैन तोहे, सांवरे सुनाऊँ कैसे
कभी छेड़े मोहे मोरे कानन के कुंडल
बही बही जावे मोरे माथे की बिंदिया
कभी मोहे मोहे तेरी बंसी की तान कान्हा
जानै उड़ाई मोरे नैनन की निंदिया
कैसी कठिनाई आई, नैनो में बसाऊँ कैसे
मीठे-मीठे बैन तोहे, सांवरे सुनाऊँ कैसे
कभी तो लुभाए तेरे होंठों की ये लाली कान्हा
जियरा चुराए कभी माथे का ये चन्दन
कभी तो सुहाएं मोहे बातें तोरी मतवारी
और कभी मन भाए नैनों की ये चितवन
कैसी कठिनाई आई, नैनो में बसाऊँ कैसे
मीठे-मीठे बैन तोहे, सांवरे सुनाऊँ कैसे
लाल पीली पगड़ी पे तोरी वारी वारी जाऊँ
मन करे बन जाऊँ मोती की लड़ी मैं
कौन सो जतन करूँ कौन सो रतन बनूँ
जासै तोरी पगड़ी में जाऊँ यूं जड़ी मैं
कैसी कठिनाई आई, नैनो में बसाऊँ कैसे
मीठे-मीठे बैन तोहे, सांवरे सुनाऊँ कैसे............ पूनम माटिया 'पूनम'
आदरणीया पूनम माटिया जी, मैं आपकी रचना पर प्रतिक्रिया देना तो चाहता था, लेकिन अपने रिप्लाई बॉक्स को क्लोज कर रखा था. बाद में आपने मॉडरेट कर दिया. :)
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