किसी की जां पे बन आई, किसी को खेल कोरोना
नहीं मुश्किल, बहुत आसान अपने 'हाथ ही धोना'
कि छोटी-छोटी बातों को रखो तुम ध्यान में अपने
रहेगा दूर फिर हमसे विदेशी रोग का रोना
चलो छोड़ो गले मिलना,'नमस्ते' ही को अपनाओ
बढ़ाओ अपनी क्षमता और 'शाकाहार' ही खाओ…
Posted on March 15, 2020 at 1:00am — 5 Comments
मुश्किल में हूँ कान्हा
कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ
मेरे श्याम सांवरे
कैसे तोहे मीठे बैन सुनाऊं
कभी तेरे कुंडल मोहें मोहे
कभी माथे की बिंदिया
कभी तेरी बंसी छेड़े मोहे
कभी अँखियाँ छीने निंदिया
मुश्किल में हूँ कान्हा
कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ
लाल-पीली पगड़ी पे कान्हा
मोती बन माथे पे लटक जाऊं
कभी होठों की लाली मोहे मोहे
कभी भाल का चन्दन
कभी तेरी बतियां सोहे मोहे
कभी राधिका…
Posted on January 15, 2014 at 1:30am — 12 Comments
विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाएं जिस तरह बड़े-बड़े पैकेज (हज़ारों ,लाखों में ) ले रही हैं उसे देख अधिकतर महिलाएं खुद को बहुत नीचा या कमतर समझती है जब उनसे पूछा जाता है कि वे क्या करती हैं ........और शर्म महसूस करती हैं.यह बताने में कि वे केवल हाउसवाइफ हैं .
यह इसलिए कि हाउसवाइफ का मतलब अक्सर यह समझा जाता है कि या तो वह घर में चूल्हा-चौका करती है या फिर सिर्फ किट्टी पार्टियों में अपना समय व्यतीत करती हैं ....... जबकि वास्तविक स्थिति इसके बिलकुल विपरीत होती है ...अधिकांश महिलाएं…
Posted on January 14, 2014 at 5:30pm — 22 Comments
आदरणीया पूनम माटिया मेम , ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये सब आपके और आदरणीय नरेश माटिया सर के निरंतर उत्साहवर्धन, स्नेह और आशीर्वाद का ही परिणाम है
इसे सदैव मुझ पर यूँ ही बनाए रखिये आपका सदैव आभारी हूँ
oh god
i just saw that your hobby is also painting very good iam very happy to know all.
keep it up
bravo
poonam ji main aapki kavita khoj raha tha par nahin mili?plz tell me how i can read/access them.thanks and regards.
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