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महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात करे

ला ला ल ला    ल ला ला     ल ला ला   ला ला ल ला 

महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात कर

हसरत जवा है पीने पिलाने की बात कर 

चिलमन कहाँ से आया तेरे मेरे बीच में 

चिलमन हटा ये नजरें मिलाने की बात कर

चिलमन हटा तो मुखड़े को घूंघट में यूं छुपा 

गुल की कली न ऐसे जलाने की बात कर 

जलवे जो तेरे पहली दफा देखे थे कभी 

इक बार फिर वो जलवे दिखाने की बात कर 

हाथों में हाथ तेरे हों बस इतनी आरजू 

जन्मों की प्यास  मेरी बुझाने की  बात कर

दीवानगी में हो ही गयी गर कोई खता 

मलिका ए हुस्न यूं ना सताने की बात कर

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 4, 2014 at 6:21pm

आदरणीय नीरज जी ..उत्साह वर्स्धक आपके शब्दों के लिए तहे दिल शक्रिया ..सादर 

Comment by coontee mukerji on January 4, 2014 at 5:22pm

हाथों में हाथ तेरे हों बस इतनी आरजू 

जन्मों की प्यास  मेरी बुझाने की  बात कर

दीवानगी में हो ही गयी गर कोई खता 

मलिका ए हुश्न यूं ना सताने की बात कर......लवली.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 4, 2014 at 3:25pm

जलवे जो तेरे पहली दफा देखे थे कभी 

इक बार फिर वो जलवे दिखाने की बात कर !! वाह क्या बात है बधाई आपको,,,,,

Comment by Shyam Narain Verma on January 4, 2014 at 1:22pm
इस भाव पूर्ण गजल के लिए बधाई आपको । 
Comment by Neeraj Nishchal on January 4, 2014 at 12:32pm

हाथों में हाथ तेरे हों बस इतनी आरजू

जन्मों की प्यास मेरी बुझाने की बात कर ।

वाह आदरणीय आशुतोष जी क्या खूब ग़ज़ल कही है
बहुत बहुत बधाई प्रेषित है ।

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