For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक सिर्फ तुझको देखूँ डगर में - शिज्जु

22- 1212- 1122

हर रात ख़्वाब के मैं सफ़र में

इक सिर्फ तुझको देखूँ डगर में

 

कुछ आज मखमली सी लगी धूप

क्या बात है न जाने सहर में

 

अंगारों पे चला मैं सहम के

इक हौसला भी था मेरे डर में

 

यूँ हैरतों से देखे मुझे लोग

है मेरा नाम आज खबर मे

 

हर शै पे हर मुकाम पे तू थी

तन्हा हुआ न तेरे नगर में

 

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1088

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vandana on December 13, 2013 at 6:50am

 

कुछ आज मखमली सी लगी धूप

क्या बात है न जाने सहर में

हर शै पे हर मुकाम पे तू थी

तन्हा हुआ न तेरे नगर में

बहुत बढ़िया आदरणीय शिज्जू जी 

Comment by ajay sharma on December 12, 2013 at 10:46pm

behatreen ashaaar hai .......

हर शै पे हर मुकाम पे तू थी

तन्हा हुआ न तेरे नगर में    bar bar padhne yogya 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 8:17pm

भाई बैद्यनाथ सारथी जी आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 8:15pm

आदरणीया मीना पाठक जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 8:15pm

आदरणीय निलेश जी आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 8:13pm

आदरणीय डॉ आशुतोष सर आपका आभार

Comment by Saarthi Baidyanath on December 12, 2013 at 8:08pm

बेहतरीन शेर 

यूँ हैरतों से देखे मुझे लोग

है मेरा नाम आज खबर मे....वाह शिज्जू साहब ...वाह 

Comment by Meena Pathak on December 12, 2013 at 7:58pm

बहुत सुन्दर रचना बधाई आप को आदरणीय 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 12, 2013 at 5:19pm

कठिन बह्र रही होगी... आपने आसान कर दी ... बधाई  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 12, 2013 at 4:46pm

आदरणीय शिज्जू जी ..अब मैं आपके उस अशार के मतलब को बखूबी समझ पाया ..मैं पूर्णतया सहमत भी हूँ ..मेरी शंका के निवारण के लिए धन्यवाद ..सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service