For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होंठों पर यूं -हंसी खिली हो

 आओ देखें कविता अपनी

रंग-बिरंगी -सजी हुयी -है

कितनी प्यारी -

मुझको -तुमको लगता ऐसे ...

 

जैसे भ्रमर की कोई

 कली खिली हो

भर पराग से उमड़ पड़ी हो

तितली के संग -

खेल रही हो मन का खेल !!

 

चातक  की चंदा

निकली हो आज -

पूर्णिमा-धवल चांदनी

धीरे -धीरे आसमान में

सरक रही हो

पास में आती

मोह रही हो सब का मन !!

 

बिजली ज्यों बादल का दामन

छू-आलिंगन कर 

चमक पड़ी हो

"बादल" खुश हो -

गरज पड़ा हो

बरस पड़ा हो  

"मोर"- सुहावन

 देख नजारा-"ये" -

मनभावन

नाच पड़ा हो

लूट लिया हो सब का मन !!

 

फटे -पुराने कपडे पाए

"वो"-अनाथ ज्यों

झूम पड़ा हो

चूम लिया हो

हहर उठा हो उसका मन !!!

 

रोटी के संग -

गुड़ पाए ज्यों -एक भिखारी

भूखा-प्यासा

तृप्त हुआ हो

होंठों पर यूं -हंसी खिली हो

धन्यवाद देता -जाये- मन !!!

 

भ्रष्टाचारी मूर्ख बनाये

जनता को ज्यों

"वोट" बटोरे

सिंहासन -आसीन हुआ हो

लूट लिया हो

वो "कुबेर' बन -

स्वर्ग गया हो

भूल गया हो -

अहं भरा 'तांडव' करता हो

देख "अप्सरा"-

 फूल गया हो उसका मन !!

 

 

तपे "जेठ"-जब सूखा झेले

मुरझाये "वो" -कहीं पड़ा हो

खेत -बाग़-वन !!

उमड़ -घुमड़ ज्यों देखे बदरा

लोट-लोट जाये -किसान 'मन' !!

 

कवि कोई ज्यों 'सुवरन 'देखे  

खिंचा चला हो >>

अंग-अंग को उसके देखे

उलट पलट के -जाँच रहा हो

चूम रहा -   सौ बार !!

 

दुल्हन जैसे खड़ी हुयी हो

नयी नवेली - बनी पहेली

कर सोलह श्रृंगार !!

करे -  अलंकृत –

"गजरा" लाये - फूल सजाये

रंग लगाए

सराबोर हो -

भंग का जैसे नशा चढ़ा हो

 हँसता जाए - 

कविता - देखे

बौराया हो  'फागुन" में मन !!! 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर५

१०.३.२०११ जल पी बी 

Views: 511

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 6, 2013 at 10:28pm

प्रिय जितेन्द्र जी रचना के बिभिन्न विम्बों पर आप ने गौर किया और इसकी अभिव्यक्ति आप को अच्छी लगी ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 6, 2013 at 10:26pm

प्रिय शिरोमणि जी .. सुअवसर मिला है आप सब को इस उम्र में ये सुन्दर मंच ........ अच्छा लगता है आप सब के बढ़ते कदम देख
किसी कच्चे फल को भी अगर पका के खाया जा सके तो आनंद और आये। कुछ फल खाने में न सही देखने सोचने समझने के लिए भी शायद
बना दिए गए हैं उनका अस्तित्व जरुर कहीं न कहीं किसी के लिए शायद होगा
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 6, 2013 at 10:20pm

प्रिय मिश्र जी कविता के बिभिन्न विम्बों पर आप ने ध्यान दिया रूचि लिया सराहा अच्छा लगा
हहर उठा उसका मन। .फूला नहीं समाया। जैसे सागर हहर हहर बढ़ा जाए........ आज वो संकुचित
मन भी। ..
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 6, 2013 at 10:14pm

प्रिय अनंत जी काफी व्यस्तता वश आप सब से दूर रहना पड़ता है सुनहरी अवसर पढ़ने सीखने का हाथ से निकल जाता है 
आप ने रचना को सराहा अच्छा लगा 
आभार 
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 6, 2013 at 10:10pm

आदरणीया कुंती जी रचना कि अभिव्यक्ति आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ 
आभार 
भ्रमर ५

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 6, 2013 at 9:05am

सुंदर रचना अभिव्यक्ति, बधाई स्वीकारें आदरणीय सुरेन्द्र जी

Comment by ram shiromani pathak on December 6, 2013 at 1:52am

रचना पर बस इतना ही कहूंगा आदरणीय . फल पका है लेकिन खाया नहीं  जा सकता   … क्षमा सहित 

Comment by विजय मिश्र on December 5, 2013 at 5:28pm
'हहर ' याकि 'हरख ' - मन में शंका उठी ,समाधान हेतु समक्ष कर रहा हूँ | कविता अलबेली है , बहुत अच्छा लगा अलग-अलग बिम्बों से अपनी रचना को आपका प्यार जताना . बधाई सुरेंद्रजी .
Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 5:20pm

आदरणीय भ्रमर जी काफी समय के बाद आप आये अच्छा लगा और साथ में सुन्दर कविता लाये और भी अच्छा लगा, बहुत ही सुन्दर रचना बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by coontee mukerji on December 4, 2013 at 10:15pm

सुंदर अभिव्यक्ति सुरेंद्र जी.बधाई हो.

सादर

कुंती

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service