बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22
बात क्या है जो रात भारी है,
इश्क है या कोई बिमारी है,
जान लेती रही हमेशा पर,
याद तेरी बहुत दुलारी है,
मौत से डर के लोग जीते हैं,
जिंदगी ये ही सबसे प्यारी है,
हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है,
हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है....
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
जग से राजा भले भिखारी है .?
प्रयास पर ढेर सारी बधाइयाँ, भाई अरुन अनन्तजी.
हार्दिक आभार आदरणीय श्री लक्ष्मण प्रसाद सर
हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर सर
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जीतेंद्र भाई जी
हार्दिक आभार आदरणीय राजेश भाई जी
सुन्दर गजल रचना के लिए बधाई श्री अरुण शर्मा अनंत भाई
बहुत खूबसूरत अशआर हैं। बधाई।
हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है.........कटु सत्य लिए हुए
बहुत सुंदर गजल हुयी, दिली दाद कुबूल करें आदरणीय अरुण अनंत जी
हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है,
क्या बात है आदरणी, अद्भुत बात कही है आपने, सादर
आदरणीया मीना जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका
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