तुमने खीची थी जो
सादे पन्ने पर
आड़ी तिरछी रेखाएं
वही मेरी जिंदगी की
तस्वीर है
वही जी रहा हूँ.
रस भरी के फल
जिसे छोड़ दिया था
तुमने कड़वा कहकर
वही मेरी जिंदगी की
मिठास है .
वही जी रहा हूँ ..
मंजिल पाने की जल्दी में
जिस राह को छोड़ कर
तुमने लिया था शोर्ट कट
वही मेरी जिंदगी की
राह है .
वही जी रहा हूँ .
तुम हो गये मुझसे दूर
तुम्हे अंक के पहले का शून्य बनना था
मैं तुम्हारा शून्य समेटे हूँ
वही मेरी जिंदगी का
सत्य है
वही जी रहा हूँ .
मौलिक एवं अप्रकाशित ..
Comment
आदरणीय सौरभ जी आपकी टिप्पणी से उत्साह बढ़ा है , सादर धन्यवाद ..
आदरणीय जीतेन्द्र गीत जी बहुत बहुत धन्यवाद..
हताशा से उपजी और झल्लाहट भरी वैचारिकता को जीती इस अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई.
शुभ-शुभ
मंजिल पाने की जल्दी में
जिस राह को छोड़ कर
तुमने लिया था शोर्ट कट
वही मेरी जिंदगी की
राह है .
वही जी रहा हूँ .
क्या बात है, स्वार्थी और अवसरवादी इंसानों पर सटीक वार करती पंक्तियाँ, इस मर्मस्पर्शी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय नीरज जी
आदरणीया वंदना तिवारी जी आपकी टिप्पणी से हौसला बाधा है , आपका हार्दिक धन्यवाद .
आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब बहुत धन्यवाद ..
आदरणीय अरुण भाई हार्दिक आभार..
आदरणीय नीरज भाई , सुन्दर रचना के लिये बधाई !!!!!
आदरणीय नीरज भाई जी बहुत ही सुन्दर भाव से भरी रचना बधाई आपको
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