For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


एक सिवा मै प्रेम के , करूँ न दूजी बात ।
प्रेम मेरी पहचान हो , प्रेम हो मेरी जात ।

आती जाती सांस में , आये जाये प्रेम ।
प्रेम हो मेरी साधना , प्रेम बने व्रत नेम ।

प्रेम कि लहरें जब उठें , बहे अश्रु की धार ।
प्रेम की वीणा जब बजे , जुड़े ह्रदय के तार ।

प्रेम कि पावन धार में, मेरा मै बह जाय ।
मेरी अंतरआत्मा , प्रीतम से मिल जाय ।

नाची मीरा प्रेम में , प्रेम में मस्त कबीर ।
प्रेम खजाना जब मिला , हुए फ़कीर अमीर

मिट मिट के मिटता रहूँ , मिले अमिट जो होय ।
मिटना ही सौभाग्य है , मिट के जाने कोय ।

छोटा बीज कठोर सा ,जाने नही बहार ।
जब तक मिट्टी में हुआ , मिलके नही निसार ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज  ' प्रेम'

Views: 519

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विजय मिश्र on November 25, 2013 at 3:47pm
दोहों ने पूरा सूफियाना रंग चढा लिया है ,एक-दो दोहों ने तो कबीर की सखी का भ्रम पैदा किया है | अतिसुन्दर नीरजजी , अनन्य साधुवाद .
Comment by राजेश 'मृदु' on November 25, 2013 at 2:42pm

जय हो, जय हो, आपकी सदा जय हो । बहुत बढि़या प्रयास हुआ है, आनंदित हो गया, सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 24, 2013 at 12:51pm

नीरज जी

आपके प्रेम विषयक  दोहे बहुत सुन्दर है  I

बधाई हो i

Comment by Sarita Bhatia on November 24, 2013 at 10:32am

लाजवाब दोहावली बधाई स्वीकार करें 

बाकी सब अरुण ने कह ही दिया है 

Comment by नादिर ख़ान on November 24, 2013 at 12:09am

आदरणीय अरुण जी ने जिस सहज अंदाज़ मे और विस्तार से समझाया है, निसंदेह सब के लिए लाभप्रद है ।

नीरज जी को उनके उत्तम प्रयास के लिए बधाई ।

Comment by ram shiromani pathak on November 23, 2013 at 6:58pm

सुन्दर प्रयास हुआ है भाई जी। आदरणीय भाई  अरुण शर्मा जी से सहमत हूँ////

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 23, 2013 at 4:59pm

एक सिवा मै प्रेम के , करूँ न दूजी बात ।
प्रेम मेरी पहचान हो , प्रेम हो मेरी जात ।

दिलखुश कर दिया भाई वाह वाह किन्तु मात्रा जांच लें (तृतीय पद में 14 मात्रा और चतुर्थ में 12 मात्रा)

आती जाती सांस में , आये जाये प्रेम ।
प्रेम हो मेरी साधना , प्रेम बने व्रत नेम ।

वाह लाजवाब (तृतीय पद में 14 मात्रा , चतुर्थ पद में व्रत नेम? समझ नहीं आया भाई)

प्रेम कि लहरें जब उठें , बहे अश्रु की धार । (भाई यदि प्रथम चरण प्रेम लहर हिय में उठें ऐसा करें तो कैसा रहेगा)
प्रेम की वीणा जब बजे , जुड़े ह्रदय के तार । बहुत ही सुन्दर (तृतीय पद में 14 मात्रा)

प्रेम कि पावन धार में, मेरा मै बह जाय ।
मेरी अंतरआत्मा , प्रीतम से मिल जाय । आय हाय (तृतीय पद में 12 मात्रा)

नाची मीरा प्रेम में , प्रेम में मस्त कबीर । (प्रेम में मस्त कबीर =12मात्रा)

प्रेम खजाना जब मिला , हुए फ़कीर अमीर --- भाई गेयता बाधित है ये कैसा रहेगा राजा हुए फ़कीर

(नाची मुझे उपयुक्त नहीं लगा भाई मगन थीं मीरा प्रेम में - झूमे संत कबीर यदि ऐसा कहें तो)

मिट मिट के मिटता रहूँ , मिले अमिट जो होय ।
मिटना ही सौभाग्य है , मिट के जाने कोय । लाजवाब भाई

छोटा बीज कठोर सा ,जाने नही बहार ।
जब तक मिट्टी में हुआ , मिलके नही निसार । कथन स्पष्ट नहीं हो रहा है.

भाई नीरज जी दोहों पर आपको प्रयास करता हुआ देख कर मुग्ध हूँ, बेहद उत्तम दोहावली रची है बस जरा सा मात्रा और गेयता पर ध्यान दें. इस प्रयास पर मेरी ओर से ढेरों बधाइयाँ स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदाब, आदरणीय,  ' नूर ' मैंने आपके निर्देश का संज्ञान ले लिया है! "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service