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पिला देती अगर साकी तो मैं भी बोल देता सच

१२२२   १२२२  १२२२  १२२२ 

पिला देती अगर साकी तो मैं भी बोल देता सच

हलक से गर उतर जाती तो मैं भी बोल देता सच

 

हसीं नगमे, हसीं जलवे, हसीं महफ़िल हसीनो की

हँसी रुसवा न गर होती  तो मैं भी बोल देता सच

 

कहें शायर घनी काली घटाएं इन की जुल्फों को

न उनकी नींद गर उडती  तो मैं भी बोल देता सच

 

बड़ी दिलकश हसीं कातिल चमकता चाँद सब कहते

हंसी गर सच को सह पाती तो मैं भी बोल देता सच

 

कतल होने मे गर आये मजा समझो की उल्फत है

अगर धड़कन नहीं बढ़ती तो मैं भी बोल देता सच

 

वो कातिल है छुपा बैठा जमाने की निगाहों से

मेरे दिल में वो न बसती तो मैं भी बोल देता सच

 

मौलिक व अप्रकाशित 

डॉ आशुतोष मिश्र 

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Comment

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Comment by Saurabh Pandey on December 1, 2013 at 6:58pm

रदीफ़ ही मन मोह गया, आदरणीय .. अच्छी ग़ज़ल के लिए दिली दाद कुबूल फ़रमायें.. .

सादर

Comment by Priyanka singh on November 24, 2013 at 3:54pm

वो कातिल है छुपा बैठा जमाने की निगाहों से

मेरे दिल में वो न बसती तो मैं भी बोल देता सच......वाह बहुत खूब ...आदरणीय मिश्रा जी बधार्इ हो।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 24, 2013 at 11:51am

आदरणीय रामअवध जी ..हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 24, 2013 at 11:50am

आदरणीय बसंत जी आदरणीय विजय मिश्र हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 24, 2013 at 11:49am

अरुण जी ...उत्साह वर्धन और परामर्श र्श के लिए हार्दिक धन्यवाद ..आपके दिए मशविरे पे अमल करते हुए मैं ग़ज़ल में संशोधन कर लूँगा ..बस यूं ही स्नेह बनाए रखें ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 24, 2013 at 11:47am

आदरणीय संदीप जी ..उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on November 23, 2013 at 8:14pm

आदरणीय मिश्रा जी बधार्इ हो।

Comment by विजय मिश्र on November 23, 2013 at 5:28pm
"बड़ी दिलकश हसीं कातिल चमकता चाँद सब कहते
हंसी गर सच को सह पाती तो मैं भी बोल देता सच|" - बेहिसाब लाजबाव , लज्जत तो पूरी गजल में है मगर यह जुमला मुझे बहुत भय . बधाई आशुतोषजी
Comment by बसंत नेमा on November 23, 2013 at 10:46am

आ0 आशुतोष जी बेहतरीन गजल के लिये बहुत बहुत बधाई .........

Comment by Meena Pathak on November 22, 2013 at 6:48pm

बेहतरीन  गज़ल  हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीय आशुतोष जी 

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