For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुलाब और स्वतंत्रता

समतल उर्वर भूमि पर

उग आयी स्वतंत्रता

जंगली वृक्ष की भांति

आवृत कर लिया इसे

जहर बेल की लताओं ने

खो गयी इसकी मूल पहचान

अर्थहीन हो गए इसके होने के मायने .

..

गुलाब की पौध में,

नियमित काट छांट के आभाव में

निकल आती हैं जंगली शाख.

इनमे फूल नहीं खिलते

उगते हैं सिर्फ कांटे.

लोकतंत्र होता है गुलाब की तरह ...

… नीरज कुमार ‘नीर’

पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on November 3, 2013 at 8:48pm
अति आभार आदरणीय विजय निकोरे साहब .
Comment by vijay nikore on November 3, 2013 at 3:28pm

अति सुन्दर बिम्ब। बधाई आदरणीय नीरज जी।

Comment by Neeraj Neer on October 26, 2013 at 9:52am

आप सभी का हार्दिक आभार 

Comment by Neeraj Neer on October 25, 2013 at 8:53am

आभार आदरणीय जितेन्द्र गीत जी 

Comment by Neeraj Neer on October 25, 2013 at 8:53am

आदरणीय सुशील जोशी साहब आभार . 

Comment by Neeraj Neer on October 25, 2013 at 8:52am

आदरणीय सौरभ जी , रचना पर आपकी टिपण्णी के लिए हार्दिक आभार , बेहतर की कोशिश होगी :) :) 

Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 9:28pm

वाह वाह... बेहद शानदार उपमा दी है आपने..... सुंदर एवं सार्थक रचना हेतु बधाई आ0 नीरज जी...

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 23, 2013 at 11:54pm

गुलाब की पौध में,

नियमित काट छांट के आभाव में

निकल आती हैं जंगली शाख.

इनमे फूल नहीं खिलते

उगते हैं सिर्फ कांटे.

लोकतंत्र होता है गुलाब की तरह ...वाह!

अथाह गहन भाव ली हुयी रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय नीरज जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 23, 2013 at 10:45pm

अपने बिम्बों के कारण यह रचना आकर्षित करती है. कथ्य उभर कर आता भी है. लेकिन ऐसा महसूस होता है कि काश आपने थोड़ा और समय दिया होता ! ..  :-))

रचना की प्रस्तुति हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ  भाईजी.

Comment by ram shiromani pathak on October 23, 2013 at 8:21pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय नीरज  जी //बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
8 hours ago
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service