चित की शुचिता के लिए, नित्य कर्म निबटाय |
ध्यान मग्न हो जाइये, पड़े अनंत उपाय |
पड़े अनंत उपाय, किन्तु पहले शौचाला |
पढ़ देवा का अर्थ, हमेशा देनेवाला |
रविकर जीवन व्यस्त, करे कविता जनहित की |
आत्मोत्थान उपाय, करेगी शुचिता चित की |
मौलिक /अप्रकाशित
Comment
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आ० रविकर जी .. बधाई
आदरणीय रविकर सर बहुत सुदर कुण्डलिया छंद हार्दिक बधाई स्वीकारें.
अच्छी प्रस्तुति
बधाई आदरणीय रविकर जी ।
बहुत सुन्दर भाव हैं...बधाई।
सादर,
विजय निकोर
बेहद सुंदर कुण्डलिया आदरणीय रविकर जी..... बधाई....
बहुत सुंदर कुण्डलिया छ्ंद आदरणीय!
आदरणीय रविकर जी बढ़िया रचना , बधाई आपको ।
आदरणीय रविकर भाई , बहुत सुन्दर रचना !! हार्दिक बधाई !!
बहुत खूब सर ! आपकी तो बात ही निराली है ! हार्दिक बधाई
बहुत बढ़िया आदरणीय रविकर सर बधाई स्वीकार करें
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