१
ना जाओ अभी कि मुलाक़ात अधूरी है !
तेरे – मेरे मिलन की हर बात अधूरी है !
जाने क्यों चल दिए तुम दामन छुडाकर!
शबनमी आँखों से लाज के मोती गिराकर !
पुरसुकूं हुस्न की एक झलक दिखाकर !
अभी नही बुझी आँखों की प्यास अधूरी है !
ना जाओ अभी कि मुलाक़ात अधूरी है !
तेरे – मेरे मिलन की हर बात अधूरी है !
२
काली बदलियों का आँखों में काजल लगाकर !
कांच के पैमाने में मय का जाम थमाकर !
रुखसारो पे अश्को की शबनम गिराकर !
भीग जाएगा बदन कि बरसात अधूरी है !
ना जाओ अभी कि मुलाक़ात अधूरी है !
तेरे – मेरे मिलन की हर बात अधूरी है !
३
सोये सोये से दिल के अरमान जगाकर !
जवाँ जवाँ धडकनों के जज्बात जगाकर !
आशिक को इश्क की औकात जताकर!
रुक जाओ अभी कि रात अधूरी है !
ना जाओ अभी कि मुलाक़ात अधूरी है !
तेरे – मेरे मिलन की हर बात अधूरी है !
डॉ. अनुराग सैनी
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत सुंदर रचना है आदरणीय अनुराग जी.... बधाई हो...
आदरणीय अनुराग जी सुंदर रचना हेतु बधाई स्वीकारे ।
अच्छी रचना है! आपको हार्दिक बधाई इस प्रयास पर!
मेरी समझ में एक बात आती है वो कोई भी रचना जिसे हम गीत या ग़ज़ल के शिल्प में न बांध सकें, नज़्म नहीं होती. बेहतर होता है की हम रचना को गीत या ग़ज़ल का ही शिल्प ही देने का प्रयास करें. आप इस दिश में प्रयास करें, आपसे इस मंच को बहुत अपेक्षाएं हैं.
सादर!
आप सभी के निरंतर मार्गदर्शन से उत्साहित हूँ और निरंतर सुधार की दिशा में प्रयासरत हूँ ! आभार
आदरणीय अनुराग जी ..इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक् बधाई स्वीकार करें
आदरणीय अनुराग भाई , सुन्दर रचना के लिये बहुत बधाई !!!
सोये सोये से दिल के अरमान जगाकर !
जवाँ जवाँ धडकनों के जज्बात जगाकर !
आशिक को इश्क की औकात जताकर!
रुक जाओ अभी कि रात अधूरी है !
ना जाओ अभी कि मुलाक़ात अधूरी है !
तेरे – मेरे मिलन की हर बात अधूरी है...................बहुत सुंदर.
आदरणीय अनुराग जी अच्छी प्रस्तुति बधाई स्वीकारें आपसे और अधिक सुन्दर रचना पढ़ने की प्रतीक्षा है.
सुन्दर प्रस्तुति
आभार आदरणीय अनुराग जी-
आदरणीय अनुराग जी,भावपूर्ण सुंदर रचना के लिये बधाई, नज्म के शिल्प पर विद्वजन कह पायेंगे.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online