For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देते है आशीष वे, सर पर रखते हाथ

मन में श्रद्धा भाव हो, तभी श्राद्ध यथार्थ |

तभी श्राद्ध यथार्थ, सभी है उनकी माया

समझों वे है साथ, मिले उनकी ही छाया

मिले सभी संस्कार संज्ञान में जो लेते

माने हम उपकार,  पूर्वज ख़ुशी ही देते |

    

(2)

देवर हो लक्ष्मण तभी, सीता दे वर माथ   

माँ का हो आशीष तो मिले जगत का साथ |

मिले जगत का साथ, साथ में प्रभु की छाया

भ्राता से हो प्यार, सुखो का घर में साया

घर का हो कल्याण दिखता न कोई तेवर

पाकर सुन्दर सीख बने जो काबिल देवर |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 29, 2013 at 9:24am

कुंडलिया छंद पसंद कर सराहने के लिए आपका आभार श्री राम भाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 29, 2013 at 9:23am

कुंडलिया छंद के भाव पसंद करने के लिए हार्दिक अभार डॉ प्राची जी | सादर 

तभी श्राद्ध यथार्थ की जगह -तब हो श्राद्ध यथार्थ किया जा सकता है ?

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 5:10pm

बहुत ही सुन्दर कुण्डलिया छंद आदरणीय //हार्दिक  बधाई आपको //सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2013 at 9:30pm

सुन्दर भाव आ० लक्ष्मण जी 

तभी श्राद्ध यथार्थ |.................मात्रा पुनः जांचें 

प्रवाह पर भी ध्यान दें 

सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 26, 2013 at 3:24pm

हार्दिक आभार आपका श्री राजेश जी | सादर 

Comment by राजेश 'मृदु' on September 26, 2013 at 3:15pm

जय हो आदरणीय, बहुत बढि़या प्रस्‍तुति, सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 26, 2013 at 11:22am

छंद पसंद कर सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्री विजय निकोरे जी, एवं श्री रमेश कुमार चौहान जी | सादर 

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 25, 2013 at 9:45pm

इस सुंदर भाव एवं सुंदर छंद के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय ।

Comment by vijay nikore on September 25, 2013 at 7:34pm

इस सुन्दर कुंडलिया छंद के लिए बधाई, आदरणीय लक्ष्मण जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 25, 2013 at 4:23pm

आपका हार्दिक आभार श्री अरुण शर्मा "अनंत" जी | त्रुटी की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service