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कुण्डलिया [ प्यार ]

कर लो सब से दोस्ती, छोड़ो अब तकरार
जिंदगानी दो दिन की बांटो थोड़ा प्यार //
बांटो थोड़ा प्यार, यही है दौलत असली
प्यार स्नेह को मान ,बाकी सभी है नकली
धन दौलत सब छोड़ ,जीवन में प्यार भर लो
रहे कोई न गैर ,सब से दोस्ती कर लो //

................मौलिक व अप्रकाशित..........

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Comment

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Comment by Abhinav Arun on September 20, 2013 at 8:48am

भाव भूमि मंशा सभी अच्छे हैं सुन्दर रचना हार्दिक बधाई आदरणीय सरिता जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2013 at 7:52am

आ0 सरिता जी , प्यार का सन्देश देती आपकी कुंडलिया बहुत अच्छी लगी !! 

Comment by annapurna bajpai on September 19, 2013 at 10:47pm

आ0 सरिता जी बहुत सुंदर कुण्डलिया की रचना  हेतु बहुत बधाई । 

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