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कहानी और भी है,,,,,
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फ़ायलातुन  फ़ायलातुन   फ़ायलातुन  फ़ायलातुन
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मौज़-मस्ती इश्क़-उल्फ़त मॆं रुमानी और भी है ॥
डूब कर सुनना अभी आगॆ कहानी और भी है ॥१॥

सिर मुँड़ातॆ ही पड़ॆ ऒलॆ हमारी किस्मत रही,
हाल-खस्ता जॆब खाली कुछ निशानी और भी है ॥२॥

ख्वाब,आँसू,सिसकियां हैं,आज सारॆ यार अपनॆ,
कह रहॆ हैं लॆ मजा लॆ ज़िन्दगानी और भी है ॥३॥

आँसुऒं की बाढ़ आई है अभी सॆ राम जानॆं,
लॊग कहतॆ हैं अभी यॆ रुत सुहानी और भी है ॥४॥
 
जॊ लिखा मैनॆं किताबॊं मॆं पढ़ा है आपनॆ वॊ,
याद लॊगॊं कॊ बहुत मॆरा ज़बानी और भी है ॥५॥

चंद साँसॆं ज़िंदगी की कब ज़माना छीन लॆगा,
आप पॆ अपनी अभी तॊ मॆज़बानी और भी है ॥६॥

हम ज़मानॆ का करॆं हैं सामना कैसॆ बताऒ,
यॆ हवायॆं तल्ख ऊपर आग पानी और भी है ॥७॥

यॆ फ़ज़ायॆं मुस्कुराती अब दिखाई दॆं वहां सॆ,
रंग-गहरा तॊ दिलॊं मॆं आसमानी और भी है ॥८॥

छॊड़ दॆ कांटॊ भरॆ व्यापार करना लौटकर आ,
अम्न की खुशबू यहाँ पॆ ज़ाफ़रानी और भी है ॥९॥
 
ज़िन्दगी सॆ हमॆशा मात खाई "राज" हमनॆं,
है मज़ॆ की बात कितनी मात खानी और भी है ॥१०॥

कवि-"राज बुन्दॆली" १७/०९/२०१३
पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1133

Comment

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Comment by annapurna bajpai on September 18, 2013 at 1:43pm

आदरणीय कवि राज बुन्देली जी , हर एक मतले पे दाद कुबूल कीजिये । सुंदर गज़ल ।

Comment by vijay nikore on September 18, 2013 at 12:51pm

आदरणीय राज जी:

 

एक दम खूबसूरत गज़ल है यह। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 18, 2013 at 12:35pm

आदरणीय वाह बेहतरीन ग़ज़ल धारदार शेर आनंद आ गया दिल को छूती हुई शानदार ग़ज़ल के दिल से ढेरों दाद कुबूल फरमाएं.

सिर मुँड़ातॆ ही पड़ॆ ऒलॆ हमारी किस्मत रही, .... इसे दोबारा देख लें कुछ त्रुटियाँ हैं.

ज़िन्दगी सॆ हमॆशा मात खाई "राज" हमनॆं, ... यहाँ कोई एक शब्द छूट गया प्रतीत हो रहा है शायद यूँ है या कुछ और देख लें.
है मज़ॆ की बात कितनी मात खानी और भी है ॥१०॥

ज़िन्दगी सॆ हमॆशा मात खाई "राज" हमनॆं,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 18, 2013 at 10:57am

आदरणीय राज बुन्देली सर बेहतरीन रवां ग़ज़ल कही है आपने वाह

//मौज़-मस्ती इश्क़-उल्फ़त मॆं रुमानी और भी है 

डूब कर सुनना अभी आगॆ कहानी और भी है // बहुत बढ़िया मतला वाह

हर शेर लाजवाब है दिली दाद कुबूल करें

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