For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हास्य कॆ,,,,,दॊहॆ :- ---------------------

=======================

करियॆ साजन आज सॆ, सब्जी लाना बन्द ।

दिन-दिन दुर्लभ हॊ रहीं, जैसॆ मात्रिक छंद ॥१॥

परवल पीली पड़ गई, मिर्ची गई  सुखाय ।

बहुमत पाया प्याज नॆं,शासन रही चलाय ॥२॥

शपथ ग्रहण मॆंथी करॆ, मंत्री पद की आज ।

आलू कॆ सहयॊग सॆ, सिद्ध हुयॆ सब काज ॥३॥

लौकी कॊ तॊ चाहियॆ, रॆल प्रशासन हाँथ ।

कुँदरू गाजर घॆवड़ा, बावन संसद साथ ॥४॥

पालक खड़ी विपक्ष मॆं, चीखॆ हाँथ उठाय ।

सुनत करॆला सत्र मॆं,सबकी ध्यान लगाय ॥५॥

सूरन की पूरन भईं, सारी आज मुराद ।

कहॆ जीभ कॊ काटकॆ, लॆ लॆ मॆरा स्वाद ॥६॥

गॊभी सॆ इतराइ कै, भिन्डी बॊली बैन ।

आज टमाटर सॆ लड़ॆ, सजनी मॆरॆ नैन ॥७॥

घॊटालॆ कर  कर हुआ, कद्दू एलीफ़ॆन्ट ।

इतना मॊटा हॊ गया,छॊटा पड़ता पॆन्ट ॥८॥

खड़ा खॆत मॆं कह रहा, भांटा जॊरॆ हाँथ ।

कालॆ का कॊई नहीं, दॆता जग मॆं साथ ॥९॥

ककड़ी सिमला बरबटी,सबकॆ बढ़ॆ मिज़ाज ।

राम करॆ गिर जाय अब, मँहगाई पर गाज़ ॥१०॥

सब्जी वालॆ  सॆ कहॆ, दॆ कर झॊला राम ।

तॊला-तॊला तौल दॆ, सब कुछ तॊलाराम ॥११॥

घर मॆं रॊयॆ भामिनी, मंचॊं पर कवि राज ।

ऎसी तैसी कर रही,खुलॆ-आम अब प्याज ॥१०॥

कवि-"राज बुन्दॆली"

०४/०९/२०१३

मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Views: 1055

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on September 18, 2013 at 6:53pm

 बृजेश नीरज जी भाई साहब इन हास्य के शब्दों को आपका स्नेह मिला और आपने अपना बहुमूल्य समय दिया आपका दिल से आभार

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on September 18, 2013 at 6:52pm

रविकर,,,जी भाई साहब इन हास्य के शब्दों को आपका स्नेह मिला इस स्नेह को नमन,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on September 18, 2013 at 6:52pm

बसंत नेमा,,,,जी,,,दिल से आभार आपका,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on September 18, 2013 at 6:51pm

Kewal Prasad जी भाई साहब,,,,इन,शब्दों को आपका स्नेह मिला इस स्नेह को नमन,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on September 18, 2013 at 6:49pm

आदरणीया,,,,,Dr.Prachi Singh जी,,,दिल से आभार आपका,,,,,,,,,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 6, 2013 at 3:17pm

सुन्दर हास्य दोहे आ० राज बुन्देली जी 

हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on September 5, 2013 at 8:07pm

 Ashish Srivastava   जी भाई साहब,,,दिल से आभार आपका ये स्नेह बनाये रखियेगा,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on September 5, 2013 at 8:06pm

  Ramesh kumar chauhan जी भाई साहब आपके इस स्नेह को नमन ,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on September 5, 2013 at 8:05pm

  SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR   जी भाई साहब इन हास्य के शब्दों को आपका स्नेह मिला और आपने अपना बहुमूल्य समय दिया आपका दिल से आभार

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on September 5, 2013 at 7:56pm

  गिरिराज भंडारी    जी भाई साहब इन हास्य के शब्दों को आपका स्नेह मिला इस स्नेह को नमन,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service