For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वज़न -२२१२ २२१२ 

ठगते रहे सब प्यार में!
बिकता रहा बाज़ार में !!

लेने चला मै रौशनी!
पागल सा अन्धे गार में !! 

खुद ही बताता है जखम !
थी धार क्या औज़ार में !!

कैसे नहीं गिरती भला !
थी रेत ही दीवार में !!

कैसे करूँ तारीफ़ मै!
दम ही कहाँ अशआर में !!
****************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक/अप्रकाशित  

Views: 912

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on September 18, 2013 at 11:24pm

खुद ही बताता है जखम !
थी धार क्या औज़ार में !!

कैसे नहीं गिरती भला !
थी रेत ही दीवार में !!....बहुत ही सुंदर प्रयास प्रिय राम शिरोमणि जी बधाई आपको

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:01pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया  विजयाश्री  जी ///सादर  

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:00pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया  प्राची जी //स्नेह यूँ ही बनाये रखें //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:00pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी //स्नेह यूँ ही बनाये रखें //सादर  

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 6:59pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई सिज्जू जी//स्नेह यूँ ही बनाये रखें //सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 18, 2013 at 5:08pm

प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी 

बहुत शानदार गज़ल प्रयास..

हार्दिक बधाई 

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 3:10pm

बहुत खूब 

बधाई स्वीकारें राम शिरोमणि पाठक जी 

Comment by vijay nikore on September 18, 2013 at 12:48pm

सुन्दर गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय राम जी।

 

सादर,

विजय निकोर

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 18, 2013 at 11:09am

बढ़िया ग़ज़ल भाई रामशिरोमणि जी बधाई आपको, यूँ ही प्रयासरत रहें शुभकामनायें 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 18, 2013 at 10:29am

Bhai Ram ji, Sanshay Dur kar ke margdarshan karne ke liye aabhar.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार सुशील भाई जी"
19 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार समर भाई साहब"
19 hours ago
रामबली गुप्ता commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"बढियाँ ग़ज़ल का प्रयास हुआ है भाई जी हार्दिक बधाई लीजिये।"
19 hours ago
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"दोहों पर बढियाँ प्रयास हुआ है भाई लक्ष्मण जी। बधाई लीजिये"
19 hours ago
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"गुण विषय को रेखांकित करते सभी सुंदर सुगढ़ दोहे हुए हैं भाई जी।हार्दिक बधाई लीजिये। ऐसों को अब क्या…"
19 hours ago
रामबली गुप्ता commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय समर भाई साहब को समर्पित बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने भाई साहब।हार्दिक बधाई लीजिये।"
19 hours ago
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आहा क्या कहने भाई जी बढ़ते संबंध विच्छेदों पर सभी दोहे सुगढ़ और सुंदर हुए हैं। बधाई लीजिये।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service