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दहेज प्रथा
सामाजिक पतन
कैसी ये व्यथा !!

भ्रूण संहार
अंसतुलित हम
गिरता स्तर !!

घना कोहरा
छायी उदासीनता
न हो सवेरा !!

उम्र नादान
विलक्षण प्रतिभा
छू आसमान !!

कड़वा सच
गिरती नैतिकता
देख दर्पण !!


मौलिक व अप्रकाशित
(प्रवीन मलिक)

Views: 622

Comment

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Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:38pm
आदरणीय सौरभ जी मुझे भी हार्दिक प्रसन्नता हो रही है आपकी टिप्पणी पाकर ... सादर धन्यवाद .....
Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:34pm
प्राची जी दूसरी कोशिश मैंने आपसे पहला रचना में प्राप्त टिप्पणी को ध्यान में रखते हुये की है .... आप लोग मार्गदर्शन करते रहिये मैं और सुन्दर लिखने की कोशिश करुगीं ... आपको हर हाइकु पसंद आया जानकर बड़ा अच्छा लगा की कदम सही दिशा में बढ़ रहे हैं ! सादर धन्यवाद !
Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:30pm
आदरणीय विजय निकोर जी तहेदिल से शुक्रिया आपका रचना को समय देने के लिए ....
Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:29pm
विजयाश्री जी अपना बहुमूल्य समय देने के लिए हार्दिक धन्यवाद ....
Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:27pm
अरुन जी कोशिश कर रही हूँ कि हाइकु और ज्यादा सुन्दर बन पड़ें .... बस आप लोग यूहीं हौसलाअफजायी करते रहेंगें तो सफलता मिल ही जायेगी ... सादर धन्यवाद ...
Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:25pm
सादर धन्यवाद मीना पाठक जी अपना अनमोल समय एंव स्नेह देने के लिए ...
Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:24pm
आदरणीय अन्नपूर्णा बाजपेयी जी तहेदिल से शुक्रिया आपका हौसलाअफजायी के लिए .... सादर धन्यवाद !
Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:22pm
जितेन्द्र जी आपको रचना पसन्द आयी हार्दिक धन्यवाद ... स्नेह बनाये रखियेगा !
Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:21pm
आदरणीय गिरिराज जी हम भी अभी सीख रहें हैं ... आपने समय दिया और सराहा ... बहुत बहुत शुक्रिया !

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 19, 2013 at 11:09am

आपकी हाइकु प्रस्तुति से मन आह्लादित है आदरणीया.

सादर बधाइयाँ.

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