For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देख तिरंगा लहराता

मन उठा, भ्रमर सा जागा है

 

पुलकित सूरज की किरनें

रंग तीन यह जो चमकें

इस मंद हवा की लहरों पर

मन झूम-झूमकर गाता है

 

सोंधी खुशबू माटी की

अलकें खिलतीं फूलों की

खेतों में लहराती फसलें

अब उमग-उमग मन जाता है

 

जीवन मेरा धन्य हुआ

भारत में जो जन्म हुआ

ये प्राण निछावर हैं इस पर

यह धरती अपनी माता है

.

बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 873

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:11pm

आदरणीय रविकर जी बहुत बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:10pm

आदरणीय गिरिराज जी बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:09pm

आदरणीय आशीष जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 6, 2013 at 7:09pm

आदरणीय श्याम नारायण जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by vijay nikore on September 6, 2013 at 6:28pm

//सोंधी खुशबू माटी की

अलकें खिलतीं फूलों की

खेतों में लहराती फसलें

अब उमग-उमग मन जाता है//

अति सुन्दर प्रस्तुति। बधाई।

Comment by Meena Pathak on September 6, 2013 at 5:33pm

बहुत बहुत सुन्दर रचना, बधाई आप को

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 6, 2013 at 2:15pm

आदरणीय बृजेश भाई जी अप्रितम नवगीत रचा है आपने, आपकी रचनाओं का प्रवाह देखते ही बनता है इतनी सुन्दरता से अपनी बात कह जाते हैं बहुत बहुत बधाई आदरणीय भाई जी .

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 6, 2013 at 1:30pm

अति सुन्दर नवगीत ब्रजेश जी हार्दिक बधाई 

Comment by रविकर on September 6, 2013 at 12:01pm

देशभक्ति से साराबोर
सुन्दर प्रस्तुति
आदरणीय बृजेश जी -
शुभकामनायें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2013 at 11:41am
देश प्रेम से ओत प्रोत बहुत सुन्दर रचना , बृजेश भाई बहुत बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
5 hours ago
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service