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गंदी नाली के कीड़े ( लघु कथा )

बड़े साहब की गाड़ी जैसे ही चौराहे पर सिग्नल के लिए रुकी एक चौदह पंद्रह वर्षीय बालक हाथ मे कपड़े का टुकड़ा लिए उनकी गाड़ी की तरफ लपका और फटाफट शीशे चमकाने लगा । शायद ये लोग कुछ पैसों की खातिर अपनी जान को जोखिम मे डाले फिरते है । क्या करे पेट की आग और गरीबी की मार कुछ भी करवाती है । बड़े साहब ने नई मर्सिडीज़ खरीदी थी उस पर उस बच्चे के गंदे हाथ देख तिलमिला गए , उतरे और एक झन्नाटे दार थप्पड़ उसके कोमल गाल पर जड़ दिया , - “ यू रासकल्स ! गंदी नाली के कीड़े ! तेरी हिम्मत कैसे हुई गाड़ी को हाथ लगाने की ।” बच्चा सकपका गया आँसू ढुलक कर गाल पर गिरने लगे इनता ही बोला – “ साब मै तो .....................।” “शटअप !!!!!!” ज़ोर से चीखे बड़े साहब और गाड़ी मे जाकर बैठ गए ।

 सुबह जब वह बच्चा फिर अपनी दिहाड़ी के लिए आया तो देखा  बढ़िया लक़दक़ करता सूट , चमाचम बूट , गले मे नेक टाई , कलाई पर सुनहरी चेन वाली घड़ी पहने कोई आदमी रोड किनारे नाली मे गिरा हुआ है उसकी गाड़ी दीवार से ठुकी हुई है । वो चौंका – “ ये तो कल रात वाले साहब है जिन्होने मुझे थप्पड़ मारा था ।” उसने उनका मुंह घुमाया तो बड़े ज़ोर का भभका उसकी नाक को चीर गया ।  “ ऊँह गंदी नाली के कीड़े कहीं के ।” कहता हुआ वह आगे बढ़ गया ।

 

 

अप्रकाशित एवं मौलिक

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Comment by annapurna bajpai on August 31, 2013 at 6:54pm

आदरणीय जितेंद्र जी , आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on August 31, 2013 at 6:53pm

आदरणीया विनीता जी आपका आभार । 

Comment by Shubhranshu Pandey on August 31, 2013 at 5:29pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, एक व्यक्तव्य के साथ कथा की शुरुआत और अन्त भी उसी कथन के साथ हो रहा है. श्लेष अलंकार का मजा है...बधाई..

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 31, 2013 at 5:27pm

आदरणीय आन्नपूर्णा की , बहुत अच्छी , प्रभावी लघु कथा के लिये बधाई !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 31, 2013 at 5:20pm

वाह! समय भी गलत इन्सान को सही जगह लाकर  गिरा देता है, बहुत सही संदेशप्रद लघुकथा पर बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी 

Comment by Vinita Shukla on August 31, 2013 at 5:19pm

बहुत अच्छा पलटवार. बधाई अन्नपूर्णा जी.

Comment by annapurna bajpai on August 31, 2013 at 3:59pm

आपका हार्दिक आभार , गीतिका जी । 

Comment by वेदिका on August 31, 2013 at 3:49pm

वाह !! इसे कहते है जबर्दस्त पंच !!

बधाई बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी!!

Comment by annapurna bajpai on August 31, 2013 at 2:53pm
आदरणीया शुभ्रा जी आपका आभार ।
Comment by shubhra sharma on August 31, 2013 at 2:02pm

आदरणीया बहुत बहुत बधाई अच्छी कथा हेतु 

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