For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साँझ ढली तो आसमान से धीरे-धीरे

रात उतर आई चुपके-चुपके डग भरती

स्याह रंग से भरती कण-कण वह यह धरती

शांत हुआ माहौल और सब हलचल धीरे

 

कल-कल करती धारा का स्वर नदिया तीरे

वरना तो, सब कुछ शांत, भयावह रूप धरे

जीव सभी चुप हैं सहमे, दुबके और डरे

कुछ अनजानी आवाज़ें खामोशी चीरे

 

मन सहमा जब भीतर यह काली पैठ हुई

लोभ और मोह कितने उसके संग उपजे

भ्रम के झंझावातों में पग पल-पल बहके

साथ सभी छूटे, आभा सारी भाग गई

 

सहसा कुछ किरनें फूटीं, इक आशा जागी

जग की, मन की परतों से सब कालिख भागी

                                        - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 971

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 8:37pm

आ0 बृजेश भाई जी, /मन सहमा जब भीतर यह काली पैठ हुई
लोभ और मोह कितने उसके संग उपजे
भ्रम के झंझावातों में पग पल.पल बहके/ सुन्दर प्रभावपूर्ण रचना। हृदयतल से बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by ram shiromani pathak on August 26, 2013 at 8:29pm

कल-कल करती धारा का स्वर नदिया तीरे

वरना तो, सब कुछ शांत, भयावह रूप धरे

जीव सभी चुप हैं सहमे, दुबके और डरे

कुछ अनजानी आवाज़ें खामोशी चीरे///////////बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ भाई

आदरणीय भाई ब्रिजेश जी हार्दिक बधाई आपको ///सादर

Comment by बृजेश नीरज on August 26, 2013 at 8:16pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 7:55pm
सहसा कुछ किरनें फूटीं, इक आशा जागी
जग की, मन की परतों से सब कालिख भागी
आदरणीय बृजेश जी बहुत सुंदर पंक्तियाँ बहुत बधाई आपको ।
Comment by बृजेश नीरज on August 26, 2013 at 6:47pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 26, 2013 at 6:11pm

मन सहमा जब भीतर यह काली पैठ हुई

लोभ और मोह कितने उसके संग उपजे

भ्रम के झंझावातों में पग पल-पल बहके

साथ सभी छूटे, आभा सारी भाग गई

 

सहसा कुछ किरनें फूटीं, इक आशा जागी

जग की, मन की परतों से सब कालिख भागी

प्रिय नीरज जी ..बहुत सुन्दर भाव और व्याख्या ..जीवन न जाने किन किन मुहानों से गुजरता है क्या सोचता देखता है पल पल बदलाव ..सुन्दर पंक्तियाँ

आभार आप का
भ्रमर ५

Comment by बृजेश नीरज on August 26, 2013 at 5:50pm

आदरणीय श्याम नारायण जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on August 26, 2013 at 5:45pm

आदरणीय अरुन भाई आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on August 26, 2013 at 5:44pm

आदरणीय गिरिराज जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on August 26, 2013 at 5:44pm

आदरणीय शरदिंदु जी आपका हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service