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मैं तेरा हूँ बस तेरा

तेरे दिल में मेरा बसेरा

मेरे दिल में तेरा ही डेरा

सारी उम्र तू हसीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले.....

क्यूँ बार बार दिल तोडती है

इरादों को यूँ मोड़ती है

जब किस्मत हमें जोड़ती है

दूरियों को तू महीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले.....

आजा छोटा सा जीवन है

चार दिनों का यौवन है

हर मौसम ही सावन है

खुशी  को तू आमीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले....

हम दोनों है और कोई नही

कोई तेरा नही कोई मेरा नही

तू जहाँ है मैं हूँ वहीं

आसमां को तू जमीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले...

दूरी में हर परेशानी है

ये कैसी बातें ठानी है

हमदोनों ही अभिमानी है

यादों को तू नमकीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले....

जितेन्द्र 'गीत'

मौलिक व् अप्रकाशित

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Comment by Vinita Shukla on August 23, 2013 at 1:33pm

शब्दों की अच्छी बुनावट. भावपूर्ण रचना पर बधाई जितेन्द्र जी.

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:13pm

बहुत सुन्दर जीतेन्द्र भाई , बहुत अच्छी रचना हुई है ///! बधाई !!

Comment by Neeraj Nishchal on August 22, 2013 at 8:46pm

लिख कर इतना सुन्दर गीत ।
दिल ले गए हमारा जीत ।
जीतेन्द्र भाई
दिल के अहोभाव से
बहुत बहुत शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 22, 2013 at 8:12pm

जीतेन्द्र भाई , बहुत अच्छी रचना हुई है , भाव पूर्ण  रचना हुई !! बधाई !!

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 8:10pm

आ. श्री गीत जी भाव सुन्दर हैं ही ये आपकी सोच और दृष्टि का कमाल है जिंदाबाद लेखनी पाई है आपने नमन है शुभकामनायें बहुत बहुत ! और देखिये आ. मेधा संपन्न गीतिका जी ने भी मेरे कहे पर मुहर लगा दी !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 22, 2013 at 7:59pm

रचना पर आपने दृष्टी डाली, भावों को सुंदर घोषित कर दिया, रचना धन्य हो गई, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

आदरणीय अभिनव अरुण जी

सादर!

Comment by वेदिका on August 22, 2013 at 7:57pm
सुंदर रचना, सुंदर शब्द, सुंदर और सकारात्मक भाव !! बधाई 'गीत' जी!
Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 7:53pm

सुन्दर भावपूर्ण काव्य रचना  आ. श्री गीत जी बहुत शुभकामनायें !!

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