For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक दिया तुमने जलाया होता

इक दिया तुमने जलाया होता 

तम जरा सा ही हटाया होता 

हिन्द में रहते सभी हिंदी हैं 

भेद मजहब का मिटाया होता

 

साथ जीने में मजा आता है 

पाठ सबको ये पढ़ाया होता 

गर खता हमसे हुई माफ़ करो 

वाकया गुजरा भुलाया होता 

कुछ खुदा की यूं इबादत करते 

रोते बच्चे को हसाया होता 

चीरते हो बस मही का सीना 

गुल से आँचल भी सजाया होता 

दूध जिस माँ का पिया है तुमने

कर्ज  कुछ उसका चुकाया होता 


मौलिक व अप्रकाशित 

डॉ आशुतोष मिश्र 

आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी 

Views: 621

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 12, 2013 at 10:02pm

आदरनीय सौरभ सर ...आपका मार्गदर्शन बस यूं ही मिलता रहे ..निदा फाजली जी की ग़ज़लों के बिषय में सिर्फ जानकारी जगजीत सिंग जी को सुनकर हुई ..उन्हें पढने का मौका कभी नहीं मिला ..आपने अच्छा किया की जानकारी दे दी ..मुझसे अनजाने में जो खता हो गयी थे उसे सुधारने का मौका मिला ..ओपन बुक्स ओं लाइन ज्वाइन करने के बाद ग़ज़ल सीखने का मौका मिला ..बस आप मुझे मेरी हर ग़ज़ल पर खुलकर चाहे कितना भी कटु हो बताते जाएँ ..ताकी ग़ज़ल लिखने का मेरा जूनून कम न हो ..सादर प्रणाम के साथ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 1:10pm

डॉ. आशुतोष, आपकी ग़ज़ल पर दाद कह रहा हूँ.

आपके कहे कई अशार उम्दा हुए हैं. बधाई.. . 

आप २१२२ २१२२ २२ मेन्शन कर दिये होते तो नये ग़ज़लकारों को या प्रयासकर्ताओं को आपकी ग़ज़ल को अरुज़ के लिहाज़ से समझने में सहूलियत होती.

एक बात - 

कहे हुए से इन्फ्लुएन्स होना आश्चर्य नहीं, लेकिन ऐसे नहीं -

कुछ खुदा की यूं इबादत करते 

रोते बच्चे को हसाया होता ... ..  निदा फ़ाज़ली एकदम से याद आगये.

 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 5, 2013 at 8:36pm

आदरणीया लता जी , महिमा जी , शेखर साहेब , अरुण जी , विजय ई लादिवाला सर , वंदना जी आप सभी के प्रेरणा देने वाले उत्साहवर्धक शब्दों के हार्दिक धन्यवाद ..भिविस्य में भी आप सभी का स्नेह ऐसे ही मिलता रहेगा ऐसी आशा के साथ 

Comment by Lata tejeswar on August 3, 2013 at 8:40am

बहुत-२ बधाई आपको.....बहुत ही सुन्दर रचना

Comment by MAHIMA SHREE on August 2, 2013 at 11:06pm

बहुत ही बढ़िया गज़ल हुयी है आदरणीय ..बहुत-२ बधाई आपको

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on August 2, 2013 at 6:18pm

आदरणीय डॉ साहब, आपकी यह रचना मंत्रमुग्ध करने वाली है, नमन

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 2, 2013 at 2:44pm

वाह आदरणीय वाह बहुत ही सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.

Comment by विजय मिश्र on August 2, 2013 at 12:44pm
आशुतोषजी ! बधाई , बहुत बेढंगी बात को ढंग से शब्दों के सुंदर हार पहनाए आपने . हम सभी अपने हिस्से का धुप सेंकने में मशगूल हैं . दुखद है .
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2013 at 10:39am

दूध जिस माँ का पिया है तुमने

कर्ज  कुछ उसका चुकाया होता -----बहुत सुन्दर और सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री अशुतोल्श मिश्र जी 

Comment by vandana on August 2, 2013 at 6:22am

साथ जीने में मजा आता है 

पाठ सबको ये पढ़ाया होता 

बहुत बढ़िया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत बहुत शुक्रिय: जनाब अमीरुद्दीन भाई आपकी महब्बतों का किन अल्फ़ाज़ में शुक्रिय:  अदा…"
8 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी, सलामत रहें ।"
8 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत बहुत धन्यवाद भाई अशोक रक्ताले जी, सलामत रहें ।"
8 hours ago
Samar kabeer commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"//मुहतरम समर कबीर साहिब के यौम-ए-पैदाइश के अवसर पर परिमार्जन करके रचना को उस्ताद-ए-मुहतरम को नज़्र…"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"चूंकि मुहतरम समर कबीर साहिब और अन्य सम्मानित गुणीजनों ने ग़ज़ल में शिल्पबद्ध त्रुटियों की ओर मेरा…"
Monday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)

1222 - 1222 - 1222 - 1222ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ कि वो इस्लाह कर जातेवगर्ना आजकल रुकते नहीं हैं बस…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Monday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदरणीय समर कबीर जी को जन्म दिवस की हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं "
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब को ज़िन्दगी का एक और नया साल बहुत मुबारक हो, इस मौक़े पर अपनी एक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आ. भाई समर जी को जन्म दिन की असीम हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाई।"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"ओ बी ओ पर तरही मुशायरा के संचालक एवं उस्ताद शायर आदरणीय समर कबीर साहब को जीवन के अड़सठ वें वर्ष में…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service