For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - दुआओं की तिजारत हो रही है !

ग़ज़ल -
.

भुलाए पर, यहाँ तक भी न कोई ।

सताए पर, यहाँ तक भी न कोई ।

मुझे हर आइने ने झूठ बोला ,
निभाये, पर यहाँ तक भी न कोई ।

मुहब्बत से भरोसा उठ गया है ,
सताए, पर यहाँ तक भी न कोई ।

फिर औलादें ही अपनी गलियां दे,
लुटाए, पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
पतंगे खेल  कुदरत के बिगाड़ें ,
उड़ाए, पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
दुआओं की तिजारत हो रही है
कमाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
किया माँ बाप का एहसान समझें ,
पढ़ाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
दो बेटों में बंटें माँ बाप बिखरे ,
लड़ाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
               
* सर्वथा मौलिक और अप्रकाशित 
                  -   अभिनव अरुण 
                 [may - june 2013]
              

Views: 929

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on July 25, 2013 at 9:43pm

मुझे हर आइने ने झूठ बोला ,
निभाये, पर यहाँ तक भी न कोई ।

मुहब्बत से भरोसा उठ गया है ,
सताए, पर यहाँ तक भी न कोई ।

bahut hi khoobsurat

Comment by annapurna bajpai on July 24, 2013 at 7:25pm

आदरणीय अभिनव जी बहुत ही बढ़िया गजल के लिए बधाई ।

Comment by Ketan Parmar on July 24, 2013 at 4:33pm


दुआओं की तिजारत हो रही है
हमें उनसे मुहब्बत हो रही है

khoob surat sir ji kyaa kahne

Comment by ram shiromani pathak on July 24, 2013 at 3:37pm
दुआओं की तिजारत हो रही है
कमाए पर यहाँ तक भी न कोई ।
.
किया माँ बाप का एहसान समझें ,
पढ़ाए पर यहाँ तक भी न कोई ।///////////बहुत सुंदर बहुत सुंदर
आदरणीय अरुण अभिनव जीबहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है///हार्दिक बधाई //सादर 
Comment by coontee mukerji on July 24, 2013 at 3:23pm

बहुत सुंदर गजल आदरणिय.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 24, 2013 at 3:06pm

आदरणीय अरुण अभिनव जी,

ये गज़ल भी लाजवाब हुई है 

बहुत बहुत बधाई 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 24, 2013 at 11:31am

वाह वाह वाह !!!!! बहरे हज़ज़ मुसद्दस महजूफ में क्या कमाल की ग़ज़ल कही है आदरणीय अरुण भाई जी, इतनी ज़बरदस्त रदीफ़ को कितनी सरलता से निभाया है - कमाल, आनंद आ गया. मेरी दिली बधाई स्वीकारे करें. 

Comment by Ketan Parmar on July 24, 2013 at 11:22am

दो बेटों में बंटें माँ बाप बिखरे ,
लड़ाए पर यहाँ तक भी न कोई ।

bahut hi sunder or mukammal sher or kaafi achi kahi aapne ye ghazal

badhai sweekare sir ji


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 24, 2013 at 9:28am

ग़ज़ब का रदीफ़ लिया है आपने भाई !!  वाह !!!

पूरी ग़ज़ल मन को ख़ुराक़ दे गयी. यही आपसे अपेक्षित है. दिल से दाद कुबूल करें. 

भाई आशीष नैथानी जी के कहे से मैं भी सहमत हूँ. गालियाँ का गलियां  हो जाना टंकण भूल ही है.

शुभम्

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on July 23, 2013 at 11:06pm

वाह वाह क्या कहने !!!

मुझे हर आइने ने झूठ बोला ,
निभाये, पर यहाँ तक भी न कोई ।

दुआओं की तिजारत हो रही है

कमाए पर यहाँ तक भी न कोई ।    लाजवाब !!!

/* फिर औलादें ही अपनी गलियां दे,  */

गालियाँ शायद गलियां हो गया है...

मजा आ गया...
इस शानदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय अभिनव जी  !!!  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service