For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सितारों जड़ी चुनरी नित-निश
लहर दिशा महके री।

झांक रही केसर
मुख नारी,
पर्वत ओट लिए
दृग कारी।
काजल रेख दूर
तक पारी,
गाल गुलाल
मुस्कान प्यारी।
अधर बीच बिजली री !

स्वर्ण किरन ने
ली अंगड़ाई,
शबनम करती
चली रूषाई।
कल कल धुन सुन
सरिता मचले,
गिरि से गिर कर
झरना उछले।
बांह बॅधें नहि मछरी !

पानी में केसर
मुख धोए,
हर हर गंगे
बोल सुहाए।
निखरा रूप
सलोना सुन्दर,
जल रक्त वर्ण
आग लगाए।
चिडि़यां चहकी वन री!।

कमल-सरोवर
जन मन भाए,
जल पर पत्ते
धानी छाए।
भ्रमर प्रेम का
राग सुनाए,
मोर मचल कर
नाच दिखाए।
भोर बड़ी चंचल री!।

के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 19, 2013 at 10:03am

आ0 लड़ीवाला सर जी,  आपका स्नेह व आशीष पाकर मन प्रफुल्लित हो गया।  उत्साहवर्धन करने हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 19, 2013 at 10:02am

आ0 जितेन्द्र भाई जी,  आपका स्नेह व सराहना पाकर मन प्रफुल्लित हो गया।  उत्साहवर्धन करने हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 19, 2013 at 10:01am

आ0 आशीष सर जी, आपको मंच पर पुनः पाकर हृदय आल्हादित है। आपका स्नेह व सराहना पाकर मन प्रफुल्लित हो गया।  उत्साहवर्धन करने हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 19, 2013 at 9:57am

आ0 महिमा जी, आपका स्नेह व सराहना पा कर मन प्रफुल्लित हो गया।  उत्साहवर्धन करने हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 19, 2013 at 9:56am

आ0 राजेश कुमारी जी, आपका स्नेह व सराहना पा कर मन प्रफुल्लित हो गया।  उत्साहवर्धन करने हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 18, 2013 at 7:36pm

भोर को नारी रूप के सुन्दर बिम्बों से अलंकृत करते हुए पगी सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री केवल प्रसाद जी | वाह 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 18, 2013 at 7:20pm

आदरणीय..केवल जी, सुंदर व् भावनाओ से ओत प्रोत रचना पर हार्दिक बधाई

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on July 18, 2013 at 10:17am

भोर को सुंदर स्त्री के रूप में प्रस्तुत किया। बहुत सुंदर।

Comment by MAHIMA SHREE on July 17, 2013 at 8:54pm

झांक रही केसर
मुख नारी,
पर्वत ओट लिए
दृग कारी।
काजल रेख दूर
तक पारी,
गाल गुलाल
मुस्कान प्यारी।
अधर बीच बिजली री

बहुत ही सुंदर भोर ... बहुत -२ बधाई आपको आदरणीय केवल जी ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 17, 2013 at 8:34pm

वाह भोर का कितना सुन्दर द्रश्य शब्दों में बाँधा है बहुत अच्छा लगा पढ़ के इस प्यारी रचना हेतु बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service