For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लेकिन मेरी बिटिया

बेशक तुमने देखी नही दुनिया 

बेशक तुम अभी नादान हो 

बेशक तुम आसानी से

हो जाती हो प्रभावित अनजानों से भी 

बेशक तुम कर लेती हो विश्वास किसी पर भी 

बेशक तुम भोली हो...मासूम हो 

लेकिन मेरी बिटिया 

होशियार रहना 

ये दुनिया ईतनी अच्छी नहीं है 

ये दुनिया इतनी भरोसे लायक नहीं रह गई है 

जहां उडती  हैं गौरैयाँ खुले आकाश में 

वहीं उड़ते हैं चील-कौवे-गिद्ध भी 

तुम्हे होशियार रहना है गिद्धों से 

और पहचानना है गौरैया के भेष में गिद्धों को...

तभी तुम जी पाओगी

उड़ पाओगी अपनी उडान...

बिना व्यवधान....

(अप्रकाशित मौलिक )

Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रविकर on July 15, 2013 at 10:14am

शुभकामनायें आदरणीय-


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 14, 2013 at 9:45pm

व्यावहारिक रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 14, 2013 at 9:24pm

आदरणीय सुंदर रचना...........

Comment by Neeraj Nishchal on July 14, 2013 at 8:06pm

bahut sundar

Comment by D P Mathur on July 14, 2013 at 6:26pm

आदरणीय अनवर जी नमस्कार कुछ लाइनों में जवाब देने की कौशिश की है ,
मेरी प्यारी बगीयां की कली,
सदा तुम मुस्कुराओं ,
जीवन पथ की बगीयां में
कभी ना मुरझाओ
लेकिन ये भी याद रखों
हर डाली पर कांटें भी हैं
हवा के झोंके की हिलौरी से
कोई कांटा ना चुभ जायें
इस कोमल सी कली को
जीवन में
कोई दर्द ना मिल जायें
बेटी तुम रहना सचेत ,
कभी ना हो पाओ अचेत,
प्रत्येक पिता के दिल की बात ,उनके दिल का डर एक सीख बनकर शब्दों में ढ़ल आया है !
आपको बधाई !

Comment by Vindu Babu on July 14, 2013 at 5:11pm
ऐसी शिक्षा बेटियों को देनी ही चाहिए आदरणीय।
आज समाज को आप जैसे पिताओं की ही आवश्यकता है।
आपकी बिटिया को ढेरों शुभकामनाएं और आप भी सादर बधाई स्वीकारें महोदय!
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 14, 2013 at 4:40pm

जहां उडती  हैं गौरैयाँ खुले आकाश में 

वहीं उड़ते हैं चील-कौवे-गिद्ध भी 

तुम्हे होशियार रहना है गिद्धों से 

और पहचानना है गौरैया के भेष में गिद्धों को...वाह वाह ! अनवर साहब, बच्चों के प्रति दायित्व निर्वाह का

सुन्दर सन्देश देती रचना के लिए हार्दिक बधाई | आपकी रचना ने पुराना गाना याद करा दिया -

"इस बात तो कहनी है हमें इस देश के --------संभल कर रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 14, 2013 at 3:17pm

जहां उडती  हैं गौरैयाँ खुले आकाश में 

वहीं उड़ते हैं चील-कौवे-गिद्ध भी 

तुम्हे होशियार रहना है गिद्धों से 

और पहचानना है गौरैया के भेष में गिद्धों को............आज के समय के अनुरूप बहुत ज़रूरी शिक्षा.

हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by Kavita Verma on July 13, 2013 at 2:35pm

sundar seekh bitiya ko ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service